________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
अभय-रत्तसार। ६२३ ऊजमणे रजत पालणो सोवन पूतली चंग, मोदक थाल देहरै मूंकी जिनवर स्नात्र सुरंग ॥ ११ ॥ तप करियै निरंतर अहुरव दर्शनी जेम, मनवंछित केरा सुख पामीजै तेम ॥ पुत्र मित्र परिवार परं अति वल्लभ भरतार, जस कीरत सोभाग वडाई महियल महिमा जाण ॥ परभव मुगति फल लहिये, ए तपने प्रमाण ॥ १२॥ थिर थापी चतुर्विध संघतणो अधिकार, भरुवछ प्रमुख नगरादिक करिया विहार ॥ विहार करी प्रतिबोधे खंदक पंच सयां परिवार, कार्तिकसेठ जितशत्रु तुरंगम सुव्रत नाम कुमार ॥ तीस सहस वरस आऊखो पालै जग दया सार, श्रीस. म्मेतशिखर परमेसर पुहता मुगति मझार ॥१३॥ इम पंच कल्याणक थुणिया त्रिभुवन ताय, मुनिसुव्रतस्वामी वीसमोजिनवर राय ॥ वीसमो जि. नवर राय जगतगुरु भयभजण भगवंत, निराकार निरंजन निरूपम अजरामर अरिहंत ॥ श्रीजिनचन्द विनय शिरोमणि सकलचन्द गणि सीस,
For Private And Personal Use Only