________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
अभय रत्नसार। वल्लिर-मल्ल महल्ल-भत्ति, सुर-वर गंजुल्लिय॥ हल्लुप्फलिय पवत्तयंति, भुवणेवि महूसव । इय तिहुण-आणंद-चंद, जय पास सुहुन्भव ॥१२॥ निम्मल-केवल-किरण-नियर-विहुरिय-तम-पहयर। दंसिय-सयल-पयस्थ-सत्थ, वित्थरियपहा-भर ॥ कलि-कलुसिय-जण-घूय लोय. लोयणह अगोयर। तिमिरइ निरु हर पासनाह भुषण-त्तय-दिणयर ॥ १३ ॥ तुह-समरण-जल. वरिस-सित्त, माणव-मइ-मेइणि। अवरावरसुहमत्थ-बोह-कंदल-दल-रेहिणि॥जायइ फलभर-भरिय हरिय-दुह-दाह अणोवम। इय मइ-मेइणि-वारिवाह, दिस पास मई मम ॥१४॥ कय-अविकल-कल्लाण-वल्लि, उल्लूरिय-दुहवणु। दाविय-सग्गपवग्ग-मग्ग, दुग्गइ-गमवारण ॥ जय-जन्तुह जणएण तुलल, जंजणिय हियाबहु । रम्मु धम्मु सो जयउ पासु, जयजन्तु-पियामहु ॥ १५ ॥ भुवणारगण-निवास
For Private And Personal Use Only