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पूजा-संग्रह |
कह कर "इच्छा" कहे और अर्थ चिन्तन पूर्वक मधुर स्वरसे तीन नमुक्कार पूर्वक ' वंदितु सूत्र' पढ़ और बाकी सब श्रावक 'करेमि भते, इच्छामि ठामि, तस्स उत्तरी, अन्नत्थ' पूर्वक काउस्सग्ग करके उसको सुने' । 'वंदित्तु' सूत्र पूर्ण हो जाने के बाद 'नमो अरिहंताण" कहकर काउस्सग्ग पारे और खड़ े हो खड़े तीन नमुक्कार गिन कर बैठ जाय । बाद तीन नमुक्कार, तीन 'करेमि भंते पढ़ कर 'इच्छामि ठामि पडिक्कमिउं जो मे पक्खियो०' कहके 'वंदितु सूत्र' पढ़े | बाद खमासमण पूर्वक इच्छाकारेण संदिसह भगवन् 'मूलगुण- उत्तरगुणविशुद्धि- निमित्तं काउस्सग्ग' करू ?' कहे । गुरु जब 'करेह कहे, तब 'इच्छ" करेमि भंते, इच्छामि ठामि तस्स उत्तरी, अन्नत्थ कह कर पाक्षिकमें बारह, चातुर्मासिकमें बीस और सांवत्सरिकमें चालीस लोगस्सका काउस्सग्ग करे । फिर नमु
कार- पूर्वक काउस्सग्ग पारके लोगस्स पढ़ े और बैठ जाय । पीछे मुहपत्ति पडिलेहन करके
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