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पूजा-संग्रह। कहे। फिर गुरु के 'करेह' कहने के बाद 'इच्छे कह कर 'देवसिअपायच्छित्तविसुद्धनिमित्वं करेमि काउस्सगं, अन्नत्थः' कह कर चार लोगस्स का काउस्सग्ग करके प्रगट लोगस्स पढ़े। फिर खमासमण-पूर्वक 'इच्छा' कह कर ‘खुद्दोवद्दवउड्डावणनिमित्तं काउस्सग्ग करेमि, अन्नस्थ०' कह कर चार लोग का काउस्सग्ग करके प्रगट लोगस्स पढ़े। फिर खमासमण-पर्वक स्तम्भन पार्श्वनाथ का 'जय वीयराय' तक चैत-वन्दन करके सिरिथंभणयट्टियपाससामिणो' इत्यादि दो गाथाएँ पढ़ कर खड़े हो कर वन्दन तथा 'अन्नथ' कह कर चार लोगस्स का काउस्सग्ग करके प्रगट लोगस्स पढ़े । . इस तरह दादा जिनदत्त सूरि तथा दादा जिनकुशल सूरि का अलग-अलग काउस्सग्ग करके प्रगट लोगस्स पढ़े । इस के बाद लघुशान्ति पढ़े । अगर लघु शान्ति न आतीहो तो सोलह नमुकार का काउस्सग्ग करके तीन खमा
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