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६१२ पूजा-संग्रह। 'पडिक्कमह' कहे तब 'इच्छ, मिच्छा मि दुकडे' कहे। फिर प्रमार्जनपूर्वक बैट कर 'भगवन् सूत्र भण?' कहे । गुरु के 'भणह' कहने पर 'इच्छं' कह कर तीन-तीन या एक-एक वार नमुकार तथा 'करेमि भंते' पढ़ । फिर 'इच्छामि पडिकमिउं जो मे देवसियो' कह कर 'बंदितु' सूत्र पढ़े । फिर दो वन्दना देकर 'अब्भुट्टि
ओमि अभिन्तर देवसियं खामे, इच्छं, जं किंचि अपत्तियं' कह कर फिर दो वन्दना देवे
और 'पायरिय उवज्झाए' कह कर 'करेमि भंते इच्छामि ठामि, तस्स उत्तरी' आदि कह कर दो लोगस्स अथवा आठ नमुक्कारका काउस्सग्ग करके प्रगट लोगस्सपढ़े। फिर सव्वलोए' कह कर एक लोगस्सका काउस्सग्ग करे और उसको पार कर 'पुक्खरबरदी०' सुअस्स भगवओ०' कह कर फिर एक लोगस्स का काउस्सग्ग करे। तत्पश्चात् 'सिद्धाणं बुद्धाणं, सुअदेवयाए.' कह कर एक नमुक्कार का काउस्सग्ग कर तथा श्रुतदेवता की
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