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पूजा-संग्रह। ____ त्रोटक ॥ आविया सुरपति सर्व भगते कलश श्रेणि बणावए । सिद्धार्थ पमुहा तीर्थ औषधि सब वस्त अणावए । अच्च्यपति तिहां हकम कीनो देव कोड़ा कोडिनें। जिन मजनारथे नीर लाओ सबै सुर कर जोडिनें ॥ ( जलका कलश लेकर खड़े रहैं और पढ़ें)
॥ शांतिने कारण इन्द्र कलशा भरै ए देशी ॥ ढाल ॥ आत्म साधन रसी देवकोड़ी हसी। उल्लसीने धसीखीर सागरदिशी॥पउमदह आदि दह गंग पमुहा नई। तीर्थ जल अमल लेवा भणी ते गई ॥ जाति अड़ कलश करि सहस अठोत्तरा । छत्र चामर सिंहासणे शुभतरा ॥ उपगरण पुप्फ चंगेरि पमुहा सवें । आगमें भासिया तेम आणि ठवें ॥ तीर्थ जल भरिय करि कलश करि देवता । गावता भावता धर्म उन्नति रता ॥ तिरिय नर अमरने हर्ष उपजावता । धन्य श्रम शक्ति शुचि भक्ति इम भावता ॥ समकितै बीज निज आत्म आरोपता । कलश पाणी मिसै
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