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पूजा - संग्रह |
गाथा ॥ जे सिद्धा सिजन्ति जे सिजित । जसु प्रलंबन ठविय मन, सो
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सन्ति
सेवो अरिहंत ॥ ४ ॥
ढाल || शिव सुख कारण जेह त्रिकालें, सम परिणामें जगत निहालें । उत्तम साधन मार्ग दिखालें, इन्द्रादिक सु चरण पखालें ॥१॥ कुसुमांजलि मेलो पावं जिणंदा, तोरा चरण कमल चोवीस, पूजोरे चोवीस, सोभागी चोवीस, वैरागी चोवीस जिणंदा ॥ कुसुमांजलि मेला श्री पार्श्व जिन्दा ॥ ( यह पढ़कर दोनों कंधों पर टीकी लगाना चाहिये ) ॥ ४ ॥
गाथा | सम्मदिट्ठो देसजय, साहु साहुणी सार | अचारिज उवाय मुग्णि, जो निम्मल
आधार ॥ ५ ॥
ढाल ॥ चौविह संघे जे मन धास्रो, मोक्षतो कारण निरधास्यो । विविह कुसुम वरजात गहेवो, तसु चरणे प्रणमन्त ठवेवी ॥ १ ॥ कुसुमांजलि मेलो श्रीवीर जिणंदा, तोरा चरण कमल
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