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अभय रत्नसार ।
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पुग्गल संग जेह अफंदी | जे परमेश्वर निज पद लीन, पूजो प्रणमो भव्य अदीन ॥ १॥ कुसुमांजलि मेलो शांति जिणंदा ॥ तोरा चरण कमल चोवीस, पूजोरे चोवीस, सोभागी चोवीस, वैरागी चोवीस, जिणंदा ॥ कुसुमांजलि मेलो श्रीशांति जिणंदा ॥ ( यह पढ़कर घुटनों पर टीकी लगाना चाहिये ) ॥ २ ॥
गाथा || निम्मल नाण पयासकर, निम्मल गुण संपन्न । निम्मल धम्म उवएस कर, सो
परमप्पा धन्न ॥ ३ ॥
ढाल || लोकालोक प्रकाशक नाणी, भवि जन तारण जेहनी वाणी । परमानंद तणो नीसाणो, तसु भगतें मुझ मति ठहराणी ॥१॥ कुसुमांजलि मेलो नेमि जिणंदा || तोरा चरण कमल चोवीस, पूजोरे चोवीस, सोभागी चोवीस, वैरागी चोवीस जिणंदा ॥ कुसुमांजलि मेलो श्री नेमि जिदा ॥ ( यह पढ़कर दोनों हाथोंको टीकी लगाना चाहिये ) ॥ ३ ॥
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