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अभय-रत्नसार। ४६१ पचावन बर्षनी,थित गणधर अट्ठावीसरे लाला ॥ भविक कमल प्रति बोधता, जगनायक श्रीजगदीस रे लाला ॥ ६॥ श्री म० ॥ चालीस सहस मूनीसरू, श्रमणी पचावन सहस रे लाला ॥ सहस त्रयासी लक्षनी, श्रावकनी संख्या सार रे लाला ॥ ७॥श्री म०॥ श्राविका सित्तर सहसनी, लक्ष तीन संख्या सुविचार रे लाला ॥ सहसमुनि परवारस्यु,गये मुक्ति संलेखण धार रे लाला ॥श्रीम०॥८॥ राजग्रही राजा पिता, सुग्रीव पदमावती मात रे लाला ॥ श्याम वरण तनु शोभता, जे कपिल लंछन विख्यात रे लाला॥ श्रीमुनिसुव्रत स्वामीजी ॥ ६ ॥ धनुष वीस देहीतणो, आयु वच्छर तीस हजार रे लाला ॥ अष्टादश गणधर थया, तीस सहस मुनिसर सार रे लाला ॥ श्रीमु०॥ १० ॥ श्रमणी सहस पचवीसनी, संख्या बहुतर हजार रे लाला ॥ इक लक्ष ऊपरि श्राविका, तीन लक्ष पचास हजार रे
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