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४५४ स्तवन-संग्रह। पण सही, होस्यां तुल्ला बेव ॥ ३१॥ भास ॥ सामियो ए वीर जिणंद, पूनमचंद जिम उल्लसिय ॥ विहरियो ए भरहवासंमि, वरस बहुत्तर संवसिय ॥ ठव तो ए कणय पउमेण, पायकमल संघ सहिय ॥ आवियो ए नयनानन्द, नयर पावापुर सुरमहिय ॥३२॥ पेखियो ए गोयमसामि, देवसमा प्रतिबोध करे ॥ आपणो ए त्रिशलादेवि, नंदन पुहतो पर मपए ॥ वलतो ए देव आकाश, पेखवि जाण्यो जिण समे ए॥ तो मुनि ए मनविखवाद, नादभेद जिम ऊपनो ए॥३३॥ इण समे ए सामिय देखि, आपकनासं टालियो ए॥ जाण तो ए तिहु अण नाह, लोक विवहार न पालियो ए ॥ अतिभलो ए कीधलो सामि, जाण्यो केवल मांगसे ए ॥ चिंतव्यो ए बालक जेम, अहवा केड़ें लागसे ए ॥ ३४ ॥ हूं किम ए वीर जिणंद, भगतहिं भोलें भोलव्यो ए ॥ आपणो ए उँचलो नेह, नाह न
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