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स्तवन-संग्रह। दोभागीने दे सोभाग, पग विहणाने आपे पाय ॥ ठाम नही तेहने द्य ठांम, मन वंछित पूरे अभिराम ॥ ४४ ॥ निरधाराने घे आधार, भवसायर उतारे पार॥आरतियानी आरत भंग, धरे ध्यान ते लहे सुरंग ॥ ४५ ॥ समस्यां सहाय दिये जक्षराज, तेहना मोटा अछे दिवाज ॥ बुद्विहीनने बुद्धि प्रकाश, गंगाने द्य वचन विलास ॥४६॥ दुखियाने सुखनो दातार, भय भंजण रंजण अवतार ॥ बंधन तूटे बेडीतणा, श्री पश्व नाम अक्षर स्मरणतां ॥४७॥
॥ दूहा ॥ श्रीपाशा नाम अक्षर जपे, विश्वानर विकराल ॥ हस्तियुद्ध दूरे टले, दुद्धर सीह सियाल ॥ ४८ ॥ चौरतणा भय चूकवे, विष अमृत उडकार ॥ विषधरना विष उतरे, संग्रामे जय-जयकार ॥ ४६॥ रोग-शोग दालिद्र दुख, दोहग दूर पूलाय ॥ परमेसर श्रीपासनो, महिमा मंत्र जपाय॥ ५० ॥
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