________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
स्तवन-संग्रह। झार ॥ म०॥ राणपुरै यात्रा करी रे लाल, समयसुन्दर सुखकार । म ॥७॥
॥ दर्शनद्वार-श्रीआदिजिन-स्तवन ॥
समकित द्वार गुंभारै पैसतां जी, पाप पडल गयां दूर रे ॥ मोहन मारूदेवीनो लाड़लो जी, दीठो मीठो आनन्द पूर रे॥ स. ॥ १॥ आयू वरजित साते कमनी जी, सागर कोडाकोड़ी हीण रे ॥ स्थिती पढम करणें करी जीवन जी, बीरज अपूरबनो घर लोध रे ॥ २॥ स० ॥ भुंगल भांगी आदि कषायनी जी, मिथ्यात मोहन सांकल साथ रे ॥ बार ऊघाड़ा सम संबेगना जी अनुभव भवनें बेठो नाथ रे ॥ ३॥ स० ॥ तोरण बांधू जीवदया तणं जी, साथियो पूरो सरघा रूप रे ॥ धुपघटी प्रमुगुण अनुमोदना जी, द्विगुज मंगल आठ अनूप रे॥ ४॥ स०॥ संवर पाणी अंग पखालने जी, केशर चंदन उत्तम ध्यान रे ॥ आतम गुण रुचि मृगमद महमहे जी,
For Private And Personal Use Only