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स्तवन-संग्रह।
चंद निरधार, पोस मास पख उज्जल सातमने सोमवार ॥ श्रावक आग्रहथी ए कीनो अलप विचार, अट्ठम चौमासो कर जैपुर नगर मझार ॥ २६ ॥ इति श्री चौवीस-दंडक स्तवनम् ॥
॥जीवविचार भाषा-गर्भित स्तवन ॥ .
॥ दुहा ॥ भुवन प्रदीपक वीर नमि, किंचित् जीव सरूप ॥ कहस्युं पूर्वाचार्य जिम, बालबोध गुरुरूप ॥ १॥
॥ ढाल १ ली ॥ देशी सुरती महीनानी ॥ ए देशी ॥ .
एक मुगति बीजा संसारी जीवः दुः भेद, सत्ता भिनै सिद्ध अनंत रूप अभेद ॥ संसारी थावर इग तिम त्रस दोय प्रकार, भु अप बाउ तेउ वणस्सइ थावर धार ॥१॥ फिटक रयण मणि विद्रुम हिंगुल वलि हरियाल, मनसिल पारो सुवरण आदि धातुनी माल ॥ सेढी वन्नी अरणेटो पालेको पाषाण ॥ भोडल तूरी उस भूमि पाहण जे खाण ॥ २ ॥ सुरमो लूण जात ए पुढवी काय
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