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स्तुति संग्रह |
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तपो यत्कर्त्तणां विदधति सुखं विस्मितहृदः, चितौ ० ॥ ४ ॥ इति मौन एकादशी स्तुति ॥ ॥ चौदश की स्तुति ॥
प्रथम तीर्थकर आदिजिनेश्वर जाकी कीजे सेव, गच्छ चोरासी जेहने थाप्या जाकी करणी एह । तेहने पाखी चउदस कीजे बीजे अंग कहाय, पाखी सूत्र प्रथम तुम देखो जिम जिम संशय जाय ॥ १ ॥ चउत्री से जिन पूजा कीजे मानो जिनकी आण, कल्पसूत्रनी पाखी चौदस जोवो चतुर सुजान । इण पर ठाम ठाम तुम देखो चौदस पाखी होय, भूला कोई भमो तुम प्राणी सांचो जिनधर्म जोय ॥२॥ चवदसरे दिन पाखी कीजे सूत्र केरी साख, भविक जीव इक आराधो टीका चूर्णी भाष्य । आवश्यक सूत्र इण पर बोले चउदसरे दिन पाखी, चउद- पुरवधर इनपर बोले ते निश्चय मन
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