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पख्खीसूत्र
१६६ दोचेवरागदोसे दुरिणयझाणाई अट्टरुहाई परिवज्जत्तोगुत्तो रक्खामिमहव्वएपंच ॥ २१॥ दुविहचरित्तंधम्म दुन्नियझाणाई धम्मसुकाई उवसंपन्नोजुत्तो रख्खामिमहव्वएपंच ॥ २२ ॥ किराहानीलाकाउ तिन्नियलेसाऊअप्पसस्थाओ परिवज्जतोयुत्तो रख्खामिमहव्वएपंच ॥ २३ ॥ तेउपम्हासुका तिन्नियलेसाओसुप्पसस्थाओ उवसंपन्नोजुत्तो रख्खामिमहव्वएपंच ॥२४॥ मणसामणसञ्चविउ वायासचणकरणसच्चण तिविहेणविसच्चवित्रो रक्खामिमहव्वएपंच ॥२५॥ चत्तारियदुहसिज्जा चउरोसन्नातहाकसायाय परिवज्जंतोगुत्तो रख्खामिमहब्बएपंच ॥ २६ ॥ चत्तारियसुहसिज्जा चउविहंसंवरंसमाहिंच उवसंपन्नोजुत्तो रख्खामिमहब्बएपंच ॥ २७॥ पंचेश्यकामगुणे पंचेवयअण्हवेमहादोसे परिव. ज्जंतोगुत्तो रख्खामिमहव्वएपंच ॥ २८ ॥ पंचेदियसंवरणं तहेवपंचविहमेवसज्जायं उवसंपन्नो
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