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श्री गौतम स्वामिजी का गस। १४७ हेजेलालियो ए तिणसमे ए, गोयमचित्त, राग वैरागे वालियो ए ॥३५॥ आवतो ए जो उल्लट्ट, रहितो रागे साहियो ए, केवल ए नाण उप्पन्न, गोयम सहिज ऊमाहियो ए। तिहुअण ए जय जयकार, केवल महिमा सुर करे ए, गणधरु ए करय बखाण, भविया भव जिम निस्तरे ए ॥३६ ॥ वस्तु॥ पढम गणहर पढम गणहर बरस पच्चास, गिहवासें संवसिय, तीस बरस संजम विभूसिय, सिरि केवल नाण पुण, बार बरस तिहुअण नमंसिय, राजगृही नयरो ठव्यो बाणबइ बरसाउ, सामी गोयम गुणनिलो, होसे सिवपुर ठाउ ॥ ३७॥ भास ॥ जिम सहकारे कोयल टहुके, जिम कुसुमावन परिमल महके, जिम चन्दन सोगंध निधि । जिम गंगाजल लहिस्या लहके, जिम कणयाचल तेजे झलके, तिम गोयम सोभाग निधि ॥ ३८॥ जिम मान सरोवर निवसे हंसा, जिम सुरतरू
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