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नमिऊनामकं - स्मरणम् ।
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कायं । नह - कुलिस घायविचलित्र, - गइंदकुंभ - त्थलाभो ॥१२॥ पण्य-ससंभ्रमपत्थिव;नह-मणि - माणिक्क पडिमस्स । तुह वयणपहरगाधरा, सोहं कुर्द्धपि न गति ॥ १३ ॥ ससि धवलदंत- मुसलं, दीह- करुल्लाल - वड्ढि उच्छाहं । महु-पिंगनयण-जुअलं, ससेलिल - नव-जलहरारात्रं ॥ १४ ॥ भीमं महा - गइंदं, अच्चासन्नंपि ते नवि गति । जे तुम्ह चलणजालं मुणिवइ ! तुंगं समल्लीणा ॥ १५ ॥ समरम्मि तिखखग्गा, भिग्घाय पविद्ध- उद्ध्य-कबंधे | कुंत - विणिभिन्न करि- कलह-मुक्क सिक्कारपरम्भि ॥ १६ ॥ निज्जिय-दप्पुद्धररिउ, - नरिंद निहा भडा जसं धवलं । पार्वति पावपतमिण ! पास-जिए ! तुह प्रभावेण ॥ १७॥ रोग-जलजला - विसहर-चोरारि-मईद-गय-रणभयाई | पास जिरानाम - संकित्तणेण पसमंति सव्वाई ॥ १८ ॥ एवं महाभयहरं, पास - जिणिं
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