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अभय रत्नसार । HARKKKKKKAKKKAKER
अथ सप्त स्मरणानि र ************** ___ ५६-अजित-शान्ति-स्तवन ।
अजिअं जिअ-सव्व-भयं,संतिं च पसंतसव्व-गय-पावं। जयगुरु संति-गुण-करे, दो वि जिणवरे पणिवयामि ॥ १ ॥ (गाहा ) ववगय-मंगुल- भावे, ते हं विउल तव-निम्मलसहावे । निरुवम-मह-प्पभावे, थोसामि सुदिट्टसम्भावे ॥२॥ (गाहा ) सव्व-दुक्ख-प्पसंती. णं, सब-पाव-प्पसंतिणं । सया अजिअ-संतीणं, नमो अजिअ. संतिणं ॥३॥ (सिलोगो) अजिअ-जिण ! सुह-पवत्तणं, तव पुरिसुत्तम ! नाम-कित्तणं। तह य धिइ-मइ-घवत्तणं, तव य जिणुत्तम ! संति ! कित्तणं ॥४॥ (मागहिआ) किरिया-विहि-संचिअ-कम्म-किलेस-विमुक्खयरं, अजिअं निचिनं च गुणेहिं महा-मुणि
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