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महत्तरागारें बोसिरइ ||
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सव्व समाहि वत्तिच्चागारेणं
पञ्च्चक्खाण- सूत्र |
( २ ) उग्गए सरे नमुक्कारसहियं पच्चखाइ चउ व्विपि प्रहारं असणं, पाणं, खाइमं साइमं त्था भोगेणं सहसागारेण वोसिरइ ॥१॥
२ - पोरसी - साड्ढपोरिसी-पचक्खाण ।
पोरिसिं साडूढपोरिसिं मुट्ठिसहि पच्चक्खाइ । उग्गए सूरे चउव्विपि आहारंअसणं, पाणं, खाइमं साइमं; अण्णत्थणाभो गेणं - सहसागारे पच्छरण-कालेणं दिसामो हेणं साहु-वयणं सव्व- समाहि वत्तियागारे i; विगई पचखाइ इत्यादि ।
३ पुरिमड्ढ - अवद-पचक्खाण |
सूरे उग्गए, पुरिमड्ढ़ अवढं, मुट्ठिसहि पंच्चत्रखाइ; चउव्विपि आहारं असणं, पाणं, खाइमं साइमं, अण्णत्थणाभोगेणं, सहसा -
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