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प्रधान - सम्पादकीय
बीकानेर के हस्तलिखित ग्रन्थ भण्डारी के बाहुल्य से अभिज्ञ पुरातत्त्वाचार्य पद्मश्री मुनि जिनविजयजी के प्रयास से श्री पूज्यजी जिनचारित्र्य सूरिजी ने अपनी हस्तलिखित ग्रन्थ संग्रह बीकानेर शाखा को सहर्ष भेट स्वरूप प्रदान किया। इसके पश्चात् श्री पूज्यी प्रतिष्ठान की कार्यप्रणाली एव उद्देश्यों से इतने प्रभाविते हए कि उन्होंने अपने अनुभवों स्थानीय यतिजनों को प्रेरित कर उनके निजी संग्रह इस शाखा को भेंट स्वरूप उपलब्ध करायें। प्रस्तुत सूची-पत्र, बीकानेर के स्थानीय यति वर्ग. द्वारा प्रदत्त श्री आनन्दविजयजी, श्री विवेकवर्द्धनजी, आर्या मगनश्री छगन भी ओर पन्यास हिम्मतविजयजी हस्तलिखित ग्रन्थ संग्रहों के संस्कृत-प्राकृत हस्तलिखित ग्रन्थों का सूचीपत्र है। इन ग्रंथों का परिग्रहणाङ्क 26944 से 29429 हैं और इनमें संस्कृत-प्राकृत हस्तलिखित ग्रथों की कुल संख्या 1091 है।
श्री आनन्दविजयजी हस्तलिखित ग्रंथ संग्रह बीकानेर शाखा को गुरास उपाश्रय भीनासर बीकानेर के अधिकारी श्री टीकमचन्दयति और श्री रामलाल यति के द्वारा प्रदान किया गया। श्री विवेकवर्द्धनजी संग्रह उनके शिष्य यतिवर्य जतनलालजी महाराजा द्वारा भेंट किया गया। आर्य मगनश्री छगन श्री संग्रह आर्या प्रतापश्रीजी को विदुषी शिष्या आर्या मगनश्री के द्वारा प्रदत्त किया गया और श्री हिम्मतविजयजी संग्रह स्वयं हिम्मतविजयजी द्वारा प्रदान किया गया। प्रतिष्ठान इन उदारमना प्रदाताओं का विशेषत: आभारी है, जिनके द्वारा भेंट स्वरूप प्रदत्त सग्रहों से शाखः समृद्धि को प्राप्त हुई।
बीकानेर शाखा कार्यालय में इन संग्रहों के परिग्रहणाङ्क इस प्रकार हैंश्री आनन्दविजयजी हस्तलिखित ग्रंथ संग्रह 26944 से 27769 तक श्री विवेकवर्द्धनजी ,
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27770 से 27998 तक आर्या मगनश्री छगनश्री " " "
27999 से 28699 तक श्री हिम्मतविजयजी " "
28700 से 29429 तक इन चारों हस्तलिखित ग्रंथ संग्रहों के विवेचन से हमें प्राच्यविद्या के विविध विषयों, दार्शनिक सिद्धान्तों और विविध शैलियों की मौलिक एवं टीका रचनायें प्राप्त होती है। इन संग्रहों में 16वीं शती से 20वीं शती तक के हस्तलिखित ग्रन्थ उपलब्ध हैं। आनन्दविजयजी संग्रह के तो समस्त हस्तलिखित ग्रन्थ बहुत ही सुन्दर लिखावट में हैं । इन संग्रहों में अनेक हस्तलिखित