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Ends - fol. 470
कइपिंगलभणिमा दुमअग्गलसउ सम्वा जाणहुवर कहमुणहव्वा ॥ विपिंगलभणितानि यधिकशतं सर्वाणि स्वज्ञावरकविमनोहराणि ॥ १ ॥ स्पष्टमन्यत् ॥ श्रीः ॥
पिङ्गलशास्त्र
No. 159
Size – 61⁄2 in. by 84 in.
Extent — 28 leaves; 22 lines to a page ; 20-22 letters to a line.
Description-Country paper; Devanagari characters; old in appear. ance ; handwriting clear, legible and uniform; folios numbered in left hand_margins; the Ms. written in Hindi in a book. form ; complete.
Appears to be old.
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10
Vedängds
इति विद्वद्वृदचूडामणिदीक्षित - श्रीसामराजात्मज दीक्षितश्रीकामराजात्मज - दीक्षितव्रजराजकृतपिंगल विवृतौ वर्णवृत्तांतर्गतसमवृत्तप्रकरणपरिच्छेदो द्वितीयः समाप्तः ॥ छ ॥ श्रीः ॥
..58:
' Age
Author - Cintāmani.
Subject - Chandas ; a Hindi work on Prosody according to the Chandaḥsastra of Pingala.
Begins - fol. 1a
॥ श्रीकृष्णाय नमः ॥
दोहा गजमुखजननी जनकके पगनिना इनिजसीस चितामनिकविसाहिको देतवनाइ असीस १
Pingalasastra
1452
1887-91
Ends - fol. 28
मुकुतमालजतमंग इतहि उतमंगगंगनि उतसित चंदन भाडइतहिसितकलिकार भनि उतहिभालमणि लालइतहिद्रग अनलविराजत उतकपूर तनलेपभसम इत अतिच्छ विच्छाजत कविचितामनि समवेषधरि अति मनू पसोभा सहितजपसाजहु सिरजासाहिकहं गिरिजाहर भरगमित etc
अथ द्वात्रिंशाक्षर छंद दोहा सोरह सोरहपर जहाँ विरति अंतलघु होह लोरूपकधन अक्षर बत्तिसवत्तिस जोइ रुपकारी पथा