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Chandas
143 fol. 14a इति कविकुलालंकारचूडामणि - श्रीसुषदेव · विरचिते छंदोनिवासे
मात्राछंदप्रकरणं संपूर्ण ॥ Ends-fol. 290
दोहा भाषा मैं पिंगलकह्यो मत सुषदेव सुजान
सहसक्रतमै बहुत है मेरमरकटी आन १९८
इति श्रीकविकुलालंकारचूडामणिश्रीसुषदेवविरचिते छंदोनिवास समाता॥ चोपई संबत अठारैस शुभजांनी
उपरिषष्टविसप्रमानौ फागुनकृष्णमावस्या
मानि सनिबार सुमहिप्रमानि १ दोहा पिंगलकी पोथी लिषीनांनिगनैजुसह्यारि
जो कछु सुद्व असुद्ध है लिज्यौ सुकवि सुधारि डालचंद चौबेर है बसर्वमधिसुमान लिविवेकौ पोथी दई पिंगल सुंदरसुजान ३ श्रीकृष्णाय नमः
छन्दोमंजरी
Chandomañjari
447 No. 138
1899-1915 Size -113 in. by 5g in. Extent-6 leaves; 9 lines to a page; 30-32 letters to a line. Description - Country paper; Devanagari characters; not very old in
appearance; bandwriting clear, legible and uniform; yellow pigment used for corrections ; folios numbered in both "margIns: slightly moth-eaten; the Ms. contains stabakas 1-6%3B
complete. Age - Not very old. Author - Gangādāsa. Subject - Chandas. Begins - fol. 1a
॥श्रीगणेशाय नमः॥
गः श्रीः गौस्त्री मो नारीरो मृगो मौचेत्कन्यान गिसती भगौगिति पंक्तिः सलगैः प्रिया त्यौचेतनुमध्या शशिवदना न्यौद्विया सोमराजी ननगि मधुमती कुमारललिता सूगम्सौगः स्यान्मदलेखा चित्रपदा यदि भौगौ ॥ etc.