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Jaina Literature and Philosophy
[541.
Description.-- Complete ; 8 verses in all. For other details see
Namaskaramantra (Vol. XVII, pt. 3, No. 737 ). Author.-- Not mentioned.
Subject.-- Eulogy of Sarada alias Sarasvati. 5 Begins.-- fol. 32* ॥ श्री ।। श्रीसरस्वत(त्ये) नमो नमः ।।
नमस्य सारदा देवी 'कश्मीर 'प्रतिवासनी स्वामं प्रार्थये मात विद्यादानं प्रदइ मे १ सरस्वती मया दृसष्टा देवि ! कमललोचना
हंसजानसमारूढा वि(वी)णापुस्तकधारणी २ ro Ends.-- fol. 32'.
या देवि त्वयसे नित्यं विबुधे वेदपारगे सा में भवंतु जीवाग्रे ब्रह्मरूपा सरस्वती ७ यां(या) कों(कुंदेदुतुषारहारधवला या सुभ्रवस्त्रा नीला
(या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना) या ब्रह्माच्युतसंकरप्रभृतीभी देवी सदा बंदिता
सा में पातु सरस्वति(ती) भगवती नी(निः)स्ये(शेषजाड्यापहा ८ इति श्रीसरस्वतीअष्टक ज्ञेयं ।।
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सरस्वत्यष्टक
Sarasvatyastaka
575(29). No. 542
1895-98. Extent.-- fol. 306. Description.-- Complete ; 9 verses in all. For other details see
Namaskāramantra (Vol. XVII, pt. 3, No. 737). .. Author.-- Not mentioned. Subject.- Praise of Sarasvati in Gujarati. Begins. -- fol. 300
बुद्धविमलकरणी विबुद्धधरणी रूपमणी निरषीय
वरदीयण बाला पद प्रधाला मंत्रमाला हरषीय थिरथान/भा अति अचंभा रूपरंभा भालकती
भाजय भवानी जगत जाणी राजराणी सरसती १ स्मरराजसेवित देष दैवितपनपेषित आसन
सुखदाय सूरत माय मूरत दोहगदुःख निवारणं त्रिह लोकतारक विधनवारक धराशरक धरपती
भजीई०२
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