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Hymnology: Svetambara works
अंकतो (S)पि ६५० | ससूत्रवृत्ति ७२७ इति श्रीकल्याणमंदिरस्तोत्रवृत्तिः लिखिता 'तपागच्छे । पंडित ५श्रीश्रीषीरसागरजी तत् शिख्ये (य) मु० कीर्त्तसागर लिषितं 'पीयलाज' नगरे संवत् गुणचालीसा वर्षे मिति कार्ति सुदि संध्यासमये ॥
N. B. — For other details see No. 98.
कल्याणमन्दिरस्तोत्रवृत्ति
ioi.]
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Kalyāṇamandirastotravṛtti
1133.
1887-91.
No. 101
Size.—– 93 in. by 4g in.
Extent.— 19 folios; 13 lines to a page; 49 letters to a line. Description. Country paper rather thin, smooth and whitish in colour ; Devanägarī characters; bold, legible, uniform and beautiful hand-writing; borders not ruled; red chalk and yellow pigment as well used; foll. numbered as usual; foll. ra and 19b blank ; this Ms. contains the commentary only ; complete; condition very good.
Age. — Samvat 1865.
Author.— Kanakakuśala Gani. For details see No. 98 (p. 121 ) . Subject. A Sanskrit commentary on Kalyāṇamandirastotra. Begins.— fol. ib श्रीसंपेश्वरपार्श्वनाथाय नमः ॥ श्रीसद्गुरुभ्यो नमः ॥ प्रणम्य पार्श्वमित्य (टा ) र्थसार्थ पूर्ति सुरदुमं etc. as in No. 98. Ends. - fol. 192
प्रत्यक्षरं गणनया वृत्तौ संख्या निवेद्यते ।
संजाता षट्शती स(सा) र्द्धा (६५०) श्लोकानामिह मंगलं ॥ ५ ॥ ससूत्रवृत्तेर्ग्रथाग्रं ७२७ इति श्रीकल्याणमंदिरस्तोत्रवृत्तिः संपूर्णा संवति परमेष्ठिदर्शन सिद्धिविधुभिः (१८६५ ) प्रमिते फाल्गुनमासि शुक्लपक्षे द्वादश्यां तिथौ रविवारे अंगमयुगप्रधान श्री १०८ श्रीजिनचंद्रसूरयस्तच्छ(या ): श्रीमंत ( : ) पाठकाग्र श्री १०५ श्री उदय तिलकजिद्गणयः तच्छिक्ष-(ध्य) मुख्यवाचनाचार्य श्री १०५श्री अमरविजयजिद्गणयस्तच्छिष्योदारविमलमनीषार्णवाः श्री१०५ श्रीज्ञानवर्धन जिद्गणयस्तेषां शिष्येण सुधिया कीर्तिकल्याणमुनिना लिखितमिदं पुस्तकं श्री' बी (बी) कानेर' मध्ये चिरं रायचंद्रस्य पठनाय || श्री ः स्तात् सद्गुरुप्रसादात श्रीः श्रीः
Reference. - Published. See No. 81.
N. B. — For other details see Nos. 81 and 98.
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