________________
142.]
...:
A-Alashkarasi
IGH
words and phrases marked out with-red pigment; the following works and authors have been mentioned in the Ms :
भरतमुनि (fol. I); रत्नावली (fols. I, 6, 8, 9, II, 12, I3, 17, 19, 201) धूर्त्तनतक.(fol s.: 2,3,9, 11, 14, 15, 192 मालतीमाधव (fols. 3.6, 7, 8, 9, 157255 विद्धशालभञ्जिका ( fol. 3) मुद्राराक्षस ( fols.. 3, 17); कालिदास (fol. 3); कपूरमञ्जरी ( 4, 7, 9, II, 25); वेणीसंहार ( fol. 5, 6, 17, 135, 18, 19); श्रीदामचरित (fols. 6, 7, 8, 9, 10, IL.20,21); शाकुंतल (8, 9, 10, 12, 13, 16, 17, 18, 20); विक्रमोर्वशी:-fols pr97 II, 13, 14, 15, 16, 20); अनर्घराघव ( folsrk I8 ); वीरचरित ( fol. I0); मालविकाग्निमित्र ( fol. 10) प्रबोधचन्द्रोदय ( fol. II); (मदीय)नरहरिविजय ( fol. 12); (ममधुवचरित ( fol..16); कुंदमाला (fol. 18); रघुवंशादि ( fol: 25); माघ (fol. 25); कविकल्पलता
(fol. 25); Age.-- The Ms appears to be not very old... Author.- Kāmarāja Dīkşita. Author's name is neither mentioned
at the beginning nor in the colophon. On folio, 12, how.. ever, the author quotes from another work of his as .. under :--- ..
... .. ... ...... "यथा मदीयनरहरिधिजये । तथापीदमस्तुभरतवाक्यं ।। :
काले वर्षतु पारिदो जनयतु क्षमाधान्य जातं नृपा ... प्रीतिं पंडितभाषितेषु कवितागुंफेषु कुर्वतु च ॥ श्रीमदीक्षितसामराज नुषोभूयात्प्रसिद्धो जने । स्फीतो दीक्षितकामराजविदुषो वाचां विपाकश्चिरं ॥
.
Begins:
-
“॥श्रीगणेशाय नमः॥ विभावादिज्ञानेन रसोत्पत्तावपि नाटकादिवर्ण्यख्य रसस्य बिमात्तिमसं... भवः । उपरूपकेषू तत्तदत्तिघटितलक्षणलक्षितेषु तस्या आवश्यकत्वात् । आस्मांलक्षणस्य तध्वटितत्वमपि परंतु नांदीसमय एव वृत्तेरपेक्षात् । भारतीवृत्तिमाश्रित इत्युत्तोः".
.
EnSir ....
..
' “वस्तुनाम्ना यथा रघुवंशादिः । नायकनाम्ना यानिलंच(च)प्वादिः॥ नायिकानाम्ना यथा कर्पूरमंजर्यादिः । उभयनाम्ना यथा मालतीमांधवादिः ।