________________
38.]
Vaidyaka
Begins.- fol. b
__ श्री॥ औषध न्हारू की रामवाण चंदूसेठ की जुवानी ॥
गुड पुराणा वर्ष ४ तथा ५ का राल दोनो समभाग लेइ कूट कर गोली बडा रीठा प्रमाणि कर गोली १ सूर्य की सन्मुख डाले गोली १ आप खावै
रविवारे न्हारू जाय etc. Ends.- fol. 70
श्री औ० अतिसार की। १ तोला इसबगोल १ तोला आवले १ तोला पसषस का डोडा दोना कपडछाण करणा पीछ इसबगोल मिलाणा पीसणा नही तीनो की ३ पुडी करणा जलसेती देणा प्रात मध्याह्न सायंकाल बंद होय ॥ श्री
कल्पचिन्तामणि
Kalpacintāmaņi No 38
387.
1884-86. Size.— 74 in. by 43 in. Extent.- 40 leaves ; 9 lines to a page ; 15 letters to a line. Description.-Country paper; Devanagari characters%3 hand-writ
ing legible; two lines in red ink on each border; paper old and musty; fol. 2 torn. The work is a strange mixture of medicine and sorcery, in Sanskrit and Hindi. Following is the list of contents :-fol. b तत्रादौ कालनिर्णयः; fol. 3. पलाशकल्पः; fol. 5. बिल्वकल्पः; fol. 6. शाल्मलिकल्पः fol. 9'. बंध्यानां गर्भधारणं; fol. 13.जलग्रह उपाय ( Hindi); मुखसुगंधिकरणं fol. 13.निधिसाधनप्रयोगः; fol. 18. अंजनानि: fol. 229. श्वेतार्ककल्पः ; fol. 23°. ग्रंथांतरे श्वेतार्ककल्पः ; fol. 250. मानसंज्ञा ; fol. 27'. ग्रंथांतरे बिल्वकल्पः; fol. 28°. देवदालीकल्पः; देहशुद्धिकरणं; fol. 300 ज्योतिष्मतीकल्पः; fol. 35. पुनः श्वेतार्कप्रयोग; fol. 35". पुनर्नवाकल्पः ; fol. 36. रजितकरणः; वशीकरणप्रयोगः; fol. 38. श्रातिधरप्रयोगः; fol. 39-. गोवृद्धिकरणं; रसायनक्रिया; fol. 39. भंगराजकल्पः; fol. 40. अदृश्यांजनम् . On the left-hand top-margin of each page and in the following colophon on fol. 3', the work is called कल्पसागर-अथ वैद्यकशास्त्रे कल्पसागरे ग्रंथांतरे नाना कल्पः। In the beginning and in the last colophon it is named as कल्पचिन्तामाण.