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824 Jaina Literature and Philosophy į 600.
.. . . Vol. XVIII, Pt. I सप्तनयचतुष्पदी
Saptanayacatuspadi (सात नयनी चोपाइ) .
(Sata nayani copai ) No. 560=43 (6)
___1478 (b)..
1887-91. ___Extent.- fol. 22 to fol. 200 Description. - Complete ; 9 verses in all. For other details see Vol.
____XIX ( sec. 2, pt. I, No. 169 ). Author.. MuniRşabhadāsa, pupil of Kalyāņa. Subject.- Exposition of the following seven nayas (view-points) :
Naigama, Sangraha, Vyavahara, Rjusātra, Samabhi
rudha and Evambhāta::. .... ___ Begins.- fol. 22 .
___ ढाल चोपईनी श्रीकल्याण गुरु समरी सार नैगम संग्रह नइ व्यवहार ऋच(ज)सूत्र शब्द सममिरूढ एवंभूत सत्तम अतिगूढ १ नैगम सामान्यविशेषसमान घटपटादिक कहह विधान
भूत भावि नइ वर्तमान पंडित वू(बू)मइ इण परिज्ञान २ etc. Ends.- fol. 22
सत्तम नय छह एवंभूत शब्दनो अर्थ कहइ सदभूत् ।
जे दीजइ ते कहीयइ दान मांगी जर नेषं गलमान ॥८॥ पहिला अर्थनय कहीयइ च्यारि । ऋ(?श)ब्द नय आगई तीन सुधारि । मप सातेइं संपेइ कहा । ऋषभदास मुनि गुरु मुखि (?ल)मा । ९ ।
इति श्रीसातनयविचासत्वाधीय (१)।