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(5)
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(7)
( 8 )
Jaina Literature and Philosophy
नत्थु णं
अरिहंतचेइयाणं
चतुर्विंशतिस्तव
श्रुतस्तव
सिद्धस्तव
वैयावृत्त्यकरसूत्र
(9)
( 10 ) जय वीयराय
( 11 )
(12) सव्बस्स वि
सुगुरुवन्दनसूत्र
(13) गुरुक्षामणासूत्र
( 14 )
नमस्कारसहित प्रत्याख्यान
( नवकारसी )
( 15 ) पौरुषी प्रत्याख्यान
( 16 )
( 17 )
(18)
( 19 )
पूर्वार्द्धप्रत्याख्यान
एकाशनप्रत्याख्यान
आचामाम्लप्रत्याख्यान
अभक्तार्थप्रत्याख्यान
पानकाकारसूत्र'
(20)
( 21 ) दिवसचरमभवचरमप्रत्याख्यान
(22) बिकृतिप्रत्याख्यान
(23) वंदित्तसूत्र
( 24 )
(25)
श्रुतदेवतास्तुति '
(26) क्षेत्रदेवतास्तुति'
आयरिय उवज्झाए
It runs as under :
•
Page-No. 1466 to 153b
153b 154b
155a
158a
158b
160a
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3 This is as follows:
184b
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160 1632
'सुयदेवया भगवई, नाणावरणीय कम्मसंघायं तेसिं खवेउ सययं, जेसिं सुअसायरे भत्ती ॥ १ ॥
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182a
" जीसे खित्ते साहू, दंसणनाणेहिं चरणसहिएहिं । साहंति मुक्खमग्गं, सा देवी हरउ दुरिआई ॥ १ ॥”
This is as under:
" पाणस्स लेवाडेण वा अलेवाडेण वा अच्छेण वा बहुलेण वा ससित्थेण वा असित्थेण व! बोंसिरइ.
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188b
189b
234b 235a
17.30.