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faina Literature and Philosophy
1730.
(I) नवकारमंत्र (नमस्कारमन्त्रx or नमस्कारसूत्र*). (2) जगचिंतामणि (प्रबोधचैत्यवन्दन*) (3) जंकिंचि (तीर्थवन्दनमूत्र*) (4) नमुत्थुणं (शक्रस्तव or प्रणिपातदण्डक').
(5) जावंति चेइयाइं (सर्वचैत्यवन्दन* ). — (6) जावंत के वि साहू (सर्वसाधुवन्दन* ).
(7) उवसग्गहरथोत्त (उपसर्गहरस्तोत्र x or पार्श्वनाथस्तव'). (8) जय वीयराय (प्रणिधानमूत्र* ). (9) इरियाव हिय (ई-पथिकीसूत्रx or ऐर्यापथिकीसूत्र'). (10) तस्स उत्तरी (उत्तरीकरणसूत्र* ). (II) अन्नत्थ (कायोत्सर्गसूत्र*). (12) लोगस्स (नामस्तव or चतुर्विशतिस्तव). (13) सबलाएं अरिहंतचेइयाणं (चैत्यस्तव). (14) पुकखरवर (श्रुतस्तव). (15) सिद्धाणं बुद्धाणं (सिद्धस्तव ). (16) संसारदावानलस्तुति ( वीरस्तुतिसूत्र ). (17) सुगुरुवंदनसूत्र (द्वादशावतर्वन्दनकसूत्र* or वन्दनकसूत्र). (18) देवसिअ आलोउं (देवसिकालोचनासूत्र). (19) संथारा ओद्रिणकी if same as रात्रिकातिचार*. (20) अब्भुट्रिओ (गुरुक्षामणासूत्र* or क्षामणासूत्र ). (21) करोमि भते (सामायिकसूत्र). (22) जय महायस. (23) आयरिय उवज्झाए (आचार्यादिकक्षामणक* ). (24) श्रुतदेवतास्तुति.
(25) क्षेत्रदेवतास्तुति. . (26) सिरिथंभणयपासनाहथुइ.
(27) सामायिकपोषधपारणगाथा'. * This cross indicates a Sanskrit name ( equivalent) for the corresponding Prakrit one.
* This name as well as all other names marked with an asterisk, have been given from the edition of “साधुसाध्वीदेविसकरात्रिकपाक्षिकचातुर्मासिकमांवत्सरिक प्रतिक्रमणानि प्रकीर्णकविधिसंयुतानि षडावश्यकसूत्राणि". These names have been used by the editor whose name though not mentioned, is Ānandasagara Suri as can be surmised. This edition has been published by Sreșthi Rşabhadevaji kesarimalaji Jaina Svetāmbara Samsthä, in Samvat 1992.
1 This name is taken from Lalitavistară. It is mentioned by Hemacandra Suri, too, in his commentary (p. 2164) on Yogasastra ( III, v. 124).
2 This name is given in the svopajna vrtti (p. 2134) of Yogasastra ( III, v. 124).
___ In the anukranmanikā of this work we have this very name (कायोत्सर्गसूत्र).
3 Each of these 27 sutras except the 19th is separately treated, while describing certain Mss. Sce infra.