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192 Vödinta
[148. Ends.- fol. 49b. Textसवैया
..... यमुनातटकेलिकरे विहरे संगवालगोपालवमेवलभईया ॥ गावत है कबी बंसी बजावत धावत है कब कुसंग गईया ॥ कोकलमोरकीनाई बेवोलतकुदत है कपीमृगकीत ईया ॥
माणकके मनमाहिवसो भेसो नंद जशोदाको छईया ॥३॥ इति श्री भात्मवियर संपूर्ण ॥ Comm.अब नारायणको स्मरणा
को मंगलाचरण को
यमुनेति ॥ थाको अर्थ प्रकट है ॥३॥
इति श्रीमआत्मविचार संपूर्ण ॥ ग्रंथ सर्व समाप्तः ॥ - संवत् १८५२ का मिती भाद्रवा सुदि ४ वार गुरुवारे तहिनं लिखितमिवं
पुस्तकं चेतनदासेण,॥ ....... पारशं पुस्तकं दृष्ट्वा तार लिषितं मया ।...
(यदि) शुद्धमशुद्धं वा मम दोषो न दीयते ॥ पुस्तक स्वामीजी १८ संतदासजीको छैलिखितं उनको घांनांजाद गुलाम चेतनदास-॥ उनकी कृपालू ।। रामराम ::
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मात्मक्लिास (= गीतदामोदर)
- Atmavilāsa (=Gītadāmodara)
No. 149
323 1884-87
Size.--- 91 in. by 6 in.
Extent.-- 15 leaves ; 18 lines to a page'; 34 letters to a line. Description.- Modern paper, water-lined, bearing the number
1844 and the letters E, V, I, C on a shield; Devanagari characters ; handwriting clear, small and -unifotm ; occa.