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________________ ( ज ) ग्रंथदाताओं के प्रति आभार प्रदर्शन हम उन सभी ग्रंथ-स्वामियों और हिन्दी प्रेमी सज्जनों के प्रति हृदय से आभारी हैं, जिन्होंने अपने मूल्यवान् ग्रन्थों को भेंट-स्वरूप प्रदान किया है तथा हमारे अन्वेषक का यथोचित निर्देशन कर अपना भरपूर योग दिया है। ऐसे महानुभावों में राव मुकुंद सिंह जी, श्री विष्णुदत्त जी वैद्य, श्री भोड़ा सिंह जी, श्री शिवदत्त जी नागर, श्री गोविन्दराम जी मेहता, बूंदी (राजस्थान), श्री पुरुषोत्तमलाल जी कोटा, श्री कमलाकर जी 'कमल' जयपुर, श्री पुरुषोत्तमलाल जी चतुर्वेदी, झालावाड़, श्री कृष्णागोपाल जी शर्मा, नेनवां (बूंदी राज्य), श्री शंकरलाल जी बोहरा, श्री लालचन्द जी, प्राच्य महाविद्यालय के संस्थापक श्री विष्णुदत्त जी तथा श्रीमती चंद्रकुंवारी बाई जोधपुर के नाम उल्लेखनीय है। दरबार कालेज छतरपुर (मध्यप्रदेश) के तत्कालीन प्रिंसिपल श्री हरिराम जी मिश्र एवं प्राध्यापक श्री उर्मलाप्रसाद जी, श्री प्रेमनारायण जी खरे, श्री ब्रह्मदेव जी शर्मा, छतरपुर के प्रसिद्ध कांग्रेसी कार्यकर्ता एवं विध्यप्रदेश के भूतपूर्व गहमंत्री श्री दशरथ जी जैन, विध्यप्रदेश के भूतपूर्व शिक्षा एवं वित्तमंत्री श्री महेन्द्रकुमार 'मानव' के अनुज श्री सुरेन्द्र कुमार जी और छतरपुर के ही सुपरिचित साहित्य-प्रेमी बाबू मोतीलाल जी, श्री श्रीनिवास जी शुक्ल, श्री सीताराम जी वर्मा एवं श्री सदाशिव जी शास्त्री, टीकमगढ़, श्री धनीराम जी धनेश, पन्ना, श्री ईश्वरी सिंह जी नरूका, पं० गिरिधर लाल जी, पं० शिवनारायण जी बोहरा, अलवर, और ठाकुर दिगंबर सिंह जी, रायगढ़, प्रभृति सज्जनों के भी हम हृदय से अनुगृहीत है। इन महानुभावों के अतिरिक्त जिन दूसरे सज्जनों ने सम्मेलन संग्रहालय को भेंट स्वरूप अपनी पोथियां प्रदान की हैं, उनमें प्राणाचार्य श्री शोकहा देवनारायण जी शर्मा, प्रयाग; श्री माताम्बर जी द्विवेदी एवं श्री रासबिहारी जी द्विवेदी मिरजापुर का नाम उल्लेखनीय है। इन सज्जनों के प्रति भी हम आभार प्रकट करते है। उक्त सभी सज्जनों के सहयोग को शिरोधार्य करते हुए हम भविष्य में भी उनके द्वारा इसी प्रकार की सहायता एवं ऐसा ही कृपा भाव बनाए रखने की कामना करते हैं। यह सूचीग्रन्थ मेरे निर्देशन में हिन्दी-संग्रहालय के वर्तमान अन्वेषक श्री वाचस्पति गैरोला ने बड़े परिश्रम से तैयार किया है। देश के विभिन्न अंचलों से सहस्रों ग्रन्थों को एकत्र कर और उन्हें सुरुचिपूर्ण ढंग से रणवीर कक्ष में व्यवस्थित कर के गैरोला जी ने सम्मेलन संग्रहालय के लिए स्थायी महत्त्व की सेवा की है। रामचन्द्र टंडन
SR No.018114
Book TitlePandulipiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHindi Sahitya Sammelan
PublisherHindi Sahitya Sammelan
Publication Year1879
Total Pages472
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size25 MB
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