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Ends.fol. 168b
fol. 38a इति समस्तप्रक्रियाविराजमानरिपुराजकंसनारायणभवभक्तिनारायणश्रीहरिनारायणपद समलंकृमहाराजाधिराजश्रीमद्भैरव सिंहदेवप्रोत्साहितश्री रुचि पतिमहोपाध्यायविरचितायां अनर्घ्यराघवट कायां प्रथमोंकः ॥ fol. 69" इति श्रीवैलोजी ग्रामवास्तव्यखौजा (आ) लवंशप्रभश्री रुचिपतिमहोपाध्यायविरचितायामनर्घ्य राघवटीकायां द्वितीयोंकः ॥ २ ॥
Nataka
[14.
References. -- See No. 9.
अनर्घ्य राघव
with टिप्पणक
वीरः प्रकृते रामस्तस्य यश एव etc. up to ... कृतेर्मुदमादधातु ॥ as in No. 9
followed by इति श्रीसमस्तप्रक्रिया विराजमानश्रीरुचिपतिमहोपाध्यायविरचितायामनर्घ्यराघवटीकायां सप्तमकः
श्रीसांबार्पणमस्तु ॥
तैलाद्रक्षेज्जला क्षेत्रक्षेच्छिथिलबंधनात् ॥ मूर्खहस्ते न दातव्यं एवं रक्षेत्रखपुस्तकं ॥ १ ॥ श्रीरस्तु सदा इयं
Anarghyaraghava
with
Tippanaka
238. 1880-81.
No. 15
Size.— 1o3 in. by 4g in.
Extent.-- 64 leaves ; 12 lines to a page ; 42 letters to a line. Description. Country paper; old and discoloured; Devanagari characters with पृष्ठमात्राs; hand writing, clear and legible ; borders ruled in two double black lines with red pigment between them ; moth-eaten in the margins; folios contain designs and red dots in the centre and in the margins; this is a q Ms having text in the middle and the tippanaka on all sides; red pigment used for marking the portion. Age.- Samvat 1526.