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E. Sarasvata
There are according to this Ms. —
Sūtras of संज्ञाप्रक्रिया
स्वरसंधि
-
23
27
5
21
16
63
17
17
56
10
4
38
22222
24+22
71
...........
28
20
of त्वं and अहं, and an enumeration of निपात etc. ) 24 Sutras of कारकप्रक्रिया
*** *** *** *** ***
***** *** **.**
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प्रकृतिभाव व्यंजन संधिः
विसर्ग संधिः
समासप्रक्रिया
तद्धितप्रक्रिया भ्वादिगण
द्वादिगण (This enumeration includes that for the अदादिगण, which is not here separately marked).
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स्वरांताः पुल्लिंगाः
स्वरांता: स्त्रीलिंगाः]
स्वरांता नपुंसकलिंगाः
इसांताः पुल्लिंगाः
इसांता : स्त्रीलिंगाः
****** 0 0 0
सांता नपुंसकलिंगाः
स्त्रीप्रत्ययाः ( Including the declension
1 Sūtra of दिवादिगण
5 Sūtras of स्वादिगण
5
रुधादिगण
4
तनादिगण
*********.....
251
1
Sutra of तुदादिगण
5 Sūtras of क्रयादिगण
7
202
प्रथमभावकर्म
आख्यातप्रक्रिया ( These Sūtras treat of causals, desideratives, denominatives, etc. ). 168 Sūtras of कृत्प्रक्रिया
884 Sūtras in all.
Ends लोकाच्छेषस्य सिद्धिः ॥ ६८ ॥ इति कृत्प्रक्रिया ॥ इति श्रीमत्सारस्वतसूत्र
संग्रहक्रमः समाप्तः ||