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जैन सैद्धान्तिक, तात्त्विक, दार्शनिक, आचार व न्याय ग्रंथ
8A
10
तात्त्विक
26 x 12*14x39
19वीं
त्रुटक | सं. 3 ढाल+दोहे
13 . 13*13 x 13
गुटका 10 पन्ने 57से64
33 x 22*54x32 |, 4 ढाल/56 गा.
1926 अजीमगंज जीवा
26X11*13x38 |, 64 पदों में 48 प्रश्न | 1944, मलसा बावड़ी, वा. पदारथ
25x15*15x39 |
अपूर्ण
19वीं
गणधरवाद
26x11*16x45
सं. 14 ढालें
20वीं
ध्यान योग संबन्धी 9
| 14x11*19x25 |
1809 सिवियांणा धैर्यसागर
24x12*16x42
| सं.
1974
भक्ति विवेचन
25x11*10x31 | अपूर्ण तीसरे मंगल तक है| 19वीं
मानसिक योग
| 17*
25x11*16x39 | संपूर्ण 36 गा. सहस्तवन
1777 की कृति
संसार भ्रमण पर
4
24x10*15x34 | सं. 134 गा.
1827 सूर्यपुर
जड़ चेतन विवाद | 10
25, 11*15x42
,296 पद
1874 x गुमानसागर
1732 को कृति
औपदेशिक
33 x 22*60x32
, 32 गा.
1926
मार्गणा द्वारों से | 3
19वीं
24 द्वारों से वर्णन
1874 लोद्रपुर जयचंद्र
26x11*19x49 | 26 x 12*17x56 | 25 x 11*19x53
24 x 12*10 x 30
कर्म सिद्धांत गभित 3
| सं. 53 गा.
1731 बगड़ी ऋ. बल्लू
जीवों के भेद
1894
| 10
26x12* तालिकायें । सं.
20वीं
जीव विभक्तियाँ
25X11*6339
सं.38 गा.
18वीं x सूरविजय
अपरनाम विचार
षट्त्रिंशिका
सं. 38 गा.
18वीं श्रीमल वर्षे
1798
10* | 26 x 11*5x42 4 26 x 11*5x36 20,16, 25 x 12* विभिन्न 3 25 x 11*20x51
251
1 46 गा. सहकथा- | 19वीं
व्याख्या
1872x ज्ञान सागर,
1,38
19/20वीं
13,20, 25127x11से13 प्रथम अपूर्ण शेष संपूर्ण 15,9,7,7| । 9,J1 | 22 x 11 व 27x || | सं.
19वीं