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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.२४
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गुरुगुण लावणी, आव, चंपाराम दीवान, मा.गु., पद्य, बि. १९वी आदि सुमिरि गुर आदि का सरणा; अंति: चंपाराम० भव समुद्र तरणा,
गाथा - ३.
३. पे. नाम. महावीरजिन जन्मोत्सव गीत, पृ. १आ - २अ, संपूर्ण.
आव. चंपाराम दीवान, पुहिं. पद्य वि. १९वी आदि महावीरजिन जन्मसु दिन सुनि अति: चंपाराम० निते तू उतरे पार,
गाथा-७.
४. पे. नाम. धरम चौक, पू. २अ- ३आ, संपूर्ण
जयवंत जिनशासन स्तवन, आव, चंपाराम दीवान, पुर्हि, पद्य, वि. १९वी आदि धरम सदा जयवंत जगतमै करता; अंति: चंपाराम अंतिम महावीरं, गाथा १५.
५. पे नाम. जंबूस्वामी गीत, पृ. ४अ ५अ, संपूर्ण.
श्राव. चंपाराम दीवान, पुहिं., पद्य, वि. १८८३, आदि: श्रीजंबू गुरु चरण पादुका, अंति: चंपाराम० दिरह न गाई,
गाथा-१६.
६. पे. नाम, जंबूस्वामी गुरुमंदिर लावणी-मथुरा, पृ. ५अ - ६आ, संपूर्ण.
आव. चंपाराम दीवान, पुहिं. पद्य वि. १९वी आदि श्रीजंबूस्वामी को मंदिर अति चंपाराम० करौ सुदिन गानं,
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गाथा - १२.
७. पे नाम औपदेशिक पद सदगुरु, पृ. ६आ. संपूर्ण.
श्राव. चंपाराम दीवान, पुहिं., पद्य, वि. १९वी, आदि: भला गुरु सोई है जगमैं; अंति: चंपाराम० सफल जन्म ताका,
गाथा-४.
८. पे. नाम चेलासरूप पद, पृ. ६आ-७, संपूर्ण
"
शिष्यस्वरूप पद, श्राव. चंपाराम दीवान, पुडिं, पद्य, वि. १९वी आदि चतुर जोई सतगुर का चेला अति: चंपाराम० जन्म मरन वीता, गाथा-५.
९. पे. नाम. श्रावकसरूप पद, पृ. ७अ-७आ, संपूर्ण.
"
आवकस्वरूप पद, आव, चंपाराम दीवान, पुडिं, पद्य, वि. १९वी आदि श्रावगी सबही है सच्चा; अंति: चंपाराम० करिनी की चतुराई, गाथा ६.
१०. पे. नाम. धरमनाव पद, पृ. ७आ-८आ, संपूर्ण.
औपदेशिक सज्झाय धर्मनाव, श्राव. चंपाराम दीवान, पुहिं., पद्य, वि. १९वी आदि वेगि नाव चढना रे प्रानी अंति चंपाराम० तजि जंठा सपना, गाधा १२.
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११. पे नाम औपदेशिक लावणी, पृ. ८- ९अ, संपूर्ण.
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औपदेशिक लावणीगुरुवाणी, श्राव. चंपाराम दीवान, पुहिं., पद्य, वि. १९वी आदि अरे तू मानि गुरवानी० खिन; अंति: चंपाराम० सदमति की ठानी, गाथा ३.
१२. पे नाम औपदेशिक लावणी, पू. ९अ ९आ, संपूर्ण
श्राव. चंपाराम दीवान, पुहिं., पद्य, वि. १९वी, आदि: बुद्धि शुभ आतम रस माती; अंति: चंपाराम० सिद्धि लोक पावै,
गाथा - ९.
१३. पे नाम औपदेशिक पद-दान, पृ. ९आ-१०अ संपूर्ण.
आव. चंपाराम दीवान, पुहिं., पद्य, वि. १९वी आदि भला है सदा दान देना देस; अति: चंपाराम० परभव सुधापान पीजै,
"
गाथा-४.
१४. पे. नाम सीलमहिमा लावणी, पृ. १०अ संपूर्ण
औपदेशिक लावणी- शीलव्रत, आव, चंपाराम दीवान, पुहिं. पद्य वि. १९वी आदि वडा गुन सीलतना जगमै जैसा अंति: चंपाराम सम वडा नही कोई. गाथा ३.
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१५. पे. नाम तप उपदेस लावणी, पृ. १०अ १० आ, संपूर्ण
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