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Sanknálha Jain Bhändåta, Camboy
1109 आदि:
॥ ॐ नमो वीतरागाय ॥ हयपडिणीओ कइतित्थउन्नई जयउ कालगायरियो । विजाणंदरिसीण य देविंदो धम्मकित्तिधरो ॥ १॥ मगहेसु धरावासम्मि वइरसीहो निवो पिया तस्स । मुरसुंदरि त्ति पुत्तो य कालओं सरसई दुहिया ॥२॥ कुमरो कयाइ पत्तों स वाहयालीइ चूयवणमझें ।
निसुणई गुणंधराइरियपासओ धम्मकहमेवं ॥ ३ ॥ अंत:
इय सन्चन्थ अमोहा सीमंधरसामिवन्नियगुणोहा । कालयगुरू तमोहा दिवंगया हणियजणमोहा ॥ ४ ॥ कप्प-निसीह कहावलिपभियणुसारेण इय महाइसया ।
कालयसूरिपबंधा बद्धा विमुणंतु मुणी (?) ॥ ५ ॥ ॥ श्रीकालिकाचार्यकथा ॥ छ॥
(3) Kalikācāryakatha ( Prose) (२) कालिकाचार्यकथा (गद्य) Folios - 6 to 20
Extent - 400 Granthas.. Language - Prakrit
Size - 24.7 x 2 inches Age of MS. - c. First half of 15th cent. V. S. Condition -Good आदि:
___ अस्थि इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे धरावासं नाम नवरं । तत्थ य वइरिवारसुंदरीवेहव्वदिक्खागुरू वइरसीहो नाम राया । तस्सय सयलंतेउरप्पहाणा सुरसुंदरी नाम देवी । तीसे य सयलकलाकलावपारओ कालयकुमारो नाम घुत्तो।
No 82 Uttarādhyayanašttrå Bșhadvștti-Palyavștti
उत्तराध्ययनसूत्र बृहवृत्ति-पाइयवृत्ति Folios -395.
Extent - 13345 Granthas Language - Sanskrit
Size - 28x2.2 inches Author - Vadivetala Santisuri of .
Condition - Good Thāra padragaccha General Remarks - Fols. 235-236 missing. आदि:
॥ॐ नमो बीतरागाय ।। शिवदाः सन्तु तीर्थेशा बिश्नसंघातघातिनः । भवकूपोवृतो येषां बाग् करत्रायते भृणाम् ॥ १॥
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