________________
श्रावक भीमसिंह माणेक. फळनुं वर्णन, नक्षत्रोनुं स्वरूप अने शुभाशुभ फळर्नु स्वरुप, चंद्रना प्रकार, ग्रहोना विविध गुणो, दरेक ग्रहोनी महादशानुं तथा अंतरदशानुं स्वरुप तथा दरेक ग्रहोना यंत्रो अने तेथी शुभाशुभ थता फळनुं वणर्न, राजयोगर्नु स्वरुप, दिक्षायोगना अधिकार, जैनदिक्षाना योगर्नु स्वरुप, धर्म ग्रंथकार थवाना योगर्नु स्वरुप, आठे ग्रहोना बारे भाव- स्वरुप, बारे राशिना द्रव्योना तथा वस्तुओना जाणवा विषे, वगेरे वगेरे
घणी बाबतोनुं संपूर्ण विस्तारसहित वर्णन आवेलुं छे.१-०. १३० शुकनशास्त्र (दादाजी साहेब श्री जिनदत्त
सूरि विरचित )-जेमां पुत्र अथवा पुत्रीनां जन्म संबंधी शकुनो, निमित्तियाने त्यां विवाह माटे लग्न जोवराववा जतां शुभाशुभ शकुनो, देशांतर जती वेळानां, व्यापारादिक कांइ कार्य माटेनां, नर्बु घर बंधावती क्खतनां, स्त्रीने गर्भ रहेवा संबंधी शकुनो, वरसाद संबंधी परिक्षा, मोतीओनी परिक्षा, हीराना गुणदोषो ते संबंधी शुभाशुभ फळो. विगेरे घणीज
बाबत सहित छे. १३१ श्री अर्हन्नीतिनुं गुजराती भाषांन्तर.जे__ मां नीति, लोकव्यवहार, न्यायमार्ग, तथा प्रायश्चित
Jain Educationa International
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org