SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 456
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ |३१] श्लोकसख्या रचनास, लेखनस. स्थिति लम्बाई-पहोलाई पुस्तक नाम पत्र भाषा कर्ता १५५०० जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिसूत्र सटीक त्रिपाठ ४५४ प्रा.सं. टी. हीरविजयसूरि १८,३९८ १७मो उत्तम १०x४।। १५५०१ उत्तराध्ययनसूत्र सटीक २७० टी नेमिचन्द्रसूरि १४,००० १०। ४४|| १५५०२ १. षोडशकप्रकरण १-१६ सं. १. हरिभद्रसूरि । २९६ १८मो , १०।४ ४।।। २. षोडशक प्रकरण वृत्ति । १६-२२ २. यशोभद्रसूरि १५५०३ श्राद्धगुणविवरण ६१ सं. जिनमण्डनगणि २,२२५ १४९८ १५२२ ,, १०। ४४।। १५५०४ नवतत्त्वप्रकरणबालावबोध १६०१ . १०x४।। १५५०५ नवतत्त्वप्रकरणबालावबोध भाष्यटीकासह सं. मू. देवभद्रसूरि, भा. अभयदेवसूरि २,४०० १७मो १०।४४॥ टी. यशोदेवोपाध्याय १५५०६ विशेषावश्यकसूत्रमहाभाष्य प्रा. जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण गा, ३,६२२ १७०५ , १०।४४|| १५५०७ नवतत्त्वविचार विवरणसह ८४ गु ३,००० १७मो १०।। ४।। १५५०८ काव्यकल्पलता स्वोपज्ञवृत्ति ५२ सं. अमरचन्द्रसूरि ३,३५७ १६मो उत्तम १०।। ४।। १५५०९ उत्तराध्ययनसूत्र सटीक ४०६ प्रा.सं. टी. भावविजय १४,२५५ टी.१६७९ १७मो .. १०.४४|| १५५१० उत्तराध्ययनसूत्र सावचूरि १७० प्रा.सं.गु १०।। ४।। १५५११ उत्तराध्ययनसूत्र बृहद्वृत्ति-पाइअटीका ४८१ सं. १६६५ .. १०।४४|| १५५१२ उत्तराध्ययनसूत्र सावचूरि पक्षपाठ ११० प्रा.सं. १६०८ १०.४४| १५५१३ कल्पान्तर्वाच्य ५८ सं १६६५ मध्यम १०x४|| १५५१४ उत्तराध्ययनसूत्र सावचूरि त्रिपाठ १०३ प्रा.सं. १५३३ मध्यम १०॥४४ १५५१५ उत्तराध्ययनसूत्र सावचूरि कथाओं सं पासागरगणि १६५७ १८मो उत्तम १०।। ४।। १५५१६ उत्तराध्ययनसूत्र ७६ प्रा. २,१०० १६मो १०।। ४।। १५५१७ उत्तराध्ययनसूत्र १०। ४४|| १५५१८ उत्तराध्ययनसूत्र मध्यम १०।। ४।। १५५१९ उपदेशचिन्तामणिबालावबोध ५२ गु १५८४ १०।४४।। १५५२० श्रीचन्द्रचरित्र पद्य सं. सिद्धर्षि ३,२९६ ५९८ १८मो उत्तम १० x ४।। १५५२१ श्राद्धप्रतिक्रमणसूत्रवृत्ति-अर्थदीपिका ., रत्नशेखरसूरि १०।४४|| १५५२२ उत्तराध्ययनकथाओ २२ अध्ययनपर्यन्त १,३५० १५९६ ,, १०।४४|| १५५२३ कल्पान्तर्वांच्य' १५४६ १०।- ४।। १५५२४ स्याद्वादमञ्जरी ५८ ... मल्लिषेणसूरि ३,००० १३४९ १६१४ ,, १०।४ ४|| ९७३५ १६४९ , ७५ १. पत्र ३१-३२ भेगा अने ३८९मु डबल छे. २. अक्षरार्थ रूप अवचूरि, ३. पत्र १०१ अने १०४मु नथी. ४. प्रति एक बाजुथी उदरे करडेली छे. ५. पत्र ३४मु डवलछे. ६. प्रथम द्वितीय पत्रमा महावीर तथा गौतमस्वामीना सुन्दर चित्र छे, ७. पत्र ६९८ थी १२, १६ थी १८,२१ थी २३ अने ६७ थी ७४ नथी. Jan Education international For Prve & Personal use only
SR No.018046
Book TitleCatalogue of Manuscripts of Patana Jain Bhandara 01 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPunyavijay, Jambuvijay
PublisherShardaben Chimanbhai Educational Research Centre
Publication Year1991
Total Pages650
LanguageHindi
ClassificationCatalogue
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy