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________________ पाटण श्रीहेमचन्द्राचार्य जैन ज्ञानमन्दिरस्थित तपगच्छ जैन ज्ञानभण्डारना हस्तलिखित ग्रन्थोन सुचिपत्र - द्वितीयो विभागः (R4 पुस्तकनु नाम पत्र भाषा कर्ता लोकसख्या रचनास, लेखनस. स्थिति लम्बाई-पहोलाई क्रमाक १०२ १४२ ४० १८०२ स ३१६ १५४२१ स्थानांगसूत्र' १५४२२ स्थानांगसूत्र १५४२३ स्थानांगसूत्र वृत्ति अपूर्ण १५४२४ स्थानांगसूत्र सटीक पञ्चपाठ' १५४२५ सूत्रकृतांगसूत्र सस्तबक १५४२६ समवायांगसूत्र १५४२७ समवायांगसूत्र १५४२८ स्थानांगसूत्र १५४२९ समवायांगसूत्र वृत्ति १५४३० समवायांगसूत्र १५४३१ स्थानांगसूत्र अपूर्ण १५४३२ स्थानांगसूत्र १५४३३ स्थानांगसूत्र वृत्ति १५४३४ स्थानांगसूत्र वृत्ति १५४३५ स्थानांगसूत्र वृत्ति १५४३६ स्थानांगसूत्र वृत्ति १५४३७ भगवतीसूत्र १५४३८ भगवतीसूत्र सटीक त्रिपाठ१३ १५४३९ भगवतीसूत्र सस्तबक १५४४० अन्तकृद्दशाङ्गसूत्र सस्तबक १५४४१ अन्तकृद्दशाङ्गसूत्र १५४४२ अन्तकृद्दशाङ्गसूत्र १५४४३ अन्तकृद्दशाङ्गसूत्र १५४४४ अन्तकृद्दशाङ्गसूत्र'५ १५४४५ अन्तकृद्दशाङ्गसूत्र १५४४६ अन्तक़दशाङ्गसूत्र १५४४७ अन्तकृद्दशाङ्गसूत्र प्रा. सुधर्मास्वामि ३,७५० . सुधर्मास्वामि ३,७५० सं. अभयदेवसूरि . ११२० प्रा.सं. मू.सुधर्मास्वामि टी,अभयदेवसूरि १७,८५०. टी. ११२० प्रा.गु. मू. २,१०० प्रा. मू. सुधर्मास्वामि १,६६७ मू. सुधर्मास्वामि १,६६७ मू. सुधर्मास्वामि ३,७५० अभयदेवसूरि ३,७७५ सुधर्मास्वामि १,६७० सुधर्मास्वामि ३,६०० सुधर्मास्वामि ३,७५० अभयदेवसूरि १४,२५० ११२० अभयदेवसूरि १४,२५० ११२० र अभयदेवसूरि १४,२५० ११२० ., अभयदेवसूरि १४,२५० ११२० प्रा. सुधर्मास्वामि १५,७५२ प्रा.स. टी. अभयदेवसूरि ३४,३६८ टी ११२८ प्रा.गु. स्त. पदासुन्दर २,४०० प्रा. सुधर्मास्वामि ८०० सुधर्मास्वामि ८९० सुधर्मास्वामि ८२५ सुधर्मास्वामि सुधर्मास्वामि ७९० सुधर्मास्वामि सुधर्मास्वामि १७मो उत्तम १०।। x ४ मध्यम १०11X४|| उत्तम १०।। ४।। १०॥४४॥ १०x४।। १७मो १०।।४४|| १०।।४४| १०।। ४।। १०।। x ४।। १६६९ .. १०।४४।। १७मो मध्यम १०x४|| १६१० १०।४४।। १७मो उत्तम १०।४४|| १०॥४४॥ १०।४४|| १०।४४। १०।४४।। १५५९ १०x४|| १७५२ ९||| ४ १९मो १०।। ४।। १६११ जीर्णप्राय १०४ ४|| १७मो उत्तम १०।। ४।। १० ।। ४४| १०।। ४।। १०x४।। उत्तम १०॥४४॥ १०।। ४ ४॥ ३७६ ७८५ ६५४ ७७५ ९३८ २४ ९०० १. प्रति उदरे खाली छे, प्रथम पत्रमा परिकरयुक्त भगवान चित्र छे, २. उदरे खाधेली प्रति. ३. पत्र ३६९-३७० भेगां छे. ४. पत्र ५६म डबलछ अन ५९मुनथा, ५. चित्रपृष्टिका सह. ६. प्रति एक खूणेथी उदरे खाली छे. ७. प्रति शुद्ध करेली छे. ८. पत्र ७३-७४ भेगा छे. ९. पत्र ७९९ नथी. १०. प्रति खूणेथी उदरे करडेली छ, ११. पत्र ३५५-३५६ भेगा छे. १२. प्रति शुद्ध छे पत्र ११४मुंत्रण छे. १३. पत्र ५४८-५४९ भेगा छे. १४. पत्र १९५मु डबल छे अने २८९-२९० तथा ६४८-६४९ भेगां छे, १५. प्रति उधईए खाली छे. पत्र परम नथी. १६. प्रथम पत्र नथी. १७. पत्र ५ थी ७ नथी. Jan Education international For Private & Personal use only
SR No.018046
Book TitleCatalogue of Manuscripts of Patana Jain Bhandara 01 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPunyavijay, Jambuvijay
PublisherShardaben Chimanbhai Educational Research Centre
Publication Year1991
Total Pages650
LanguageHindi
ClassificationCatalogue
File Size13 MB
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