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[१५] लोकसख्या रचनास, लेखनस, स्थिति लम्बाई-पहोलाई
पत्र
पुस्तकनु नाम
भाषा
का
क्रमांक
१५७९ ..
१५१०७. कल्पसूत्रबालावबोध २६७ गु
१७मो उत्तम १० x ४।। १५१०८ ज्ञाताधर्मकथाङ्गसूत्र सटीक पञ्चपाठ १८१ प्रा.सं. मू सुधर्मास्वामि टी अभयदेवसूरि ९,४०० टी ११२०..
१०x४|| १५१०९. ज्ञाताधर्मकथाङ्गसूत्र सटीक त्रिपाठ १६७ . मू सुधर्मास्वामि टी अभयदेवसूरि ९,४०० टी ११२०..
१०।। ४।। १५११० ज्ञाताधर्मकथाङ्गसूत्र वृत्ति
स अभयदेवसूरि
३,८०० टी. ११२०१६६९ ., १०। ४४।। १५१११. ज्ञाताधर्मकथाङ्गसूत्र अपूर्ण
सुधर्मास्वामि
१७मो
१०।। ४।। १५११२ ज्ञाताधर्मकथाङ्गसूत्र'
सुधर्मास्वामि
५,०००
१५५७ मध्यम १०।। ४।। १५११३ ज्ञाताधर्मकथाङ्गसूत्र
सुधर्मास्वामि
१६४९ उत्तम १०।। ४।। १५११४ ज्ञाताधर्मकथाङ्गसूत्र १७३ सुधर्मास्वामि
५.५४७
१५६८
१०। ४४।। १५११५ ज्ञाताधर्मकथाङ्गसूत्र १०७ सुधर्मास्वामि
५.३६६
१७१९ मध्यम १०। ४४। ज्ञाताधर्मकथाङ्गसूत्र
९६ सुधर्मास्वामि
५,४३४
१७मो उत्तम १०।। ४।। १५११७ कातन्त्रव्याकरणदुर्गसिंहवृत्ति तद्धितपर्यन्त ५६-८२ सं दर्गसिंह
त्रुटक आवश्यकसूत्रप्रथमपीठिका बालावबोध सह ४० प्रा ग बा रत्नशेखरसरिशिष्य
१६०१ उत्तम ११४ ४।। १५११९. भगवतीसूत्रगत तङ्गियानगरीश्रावकआलापका ५ प्रा
१८मो
१०।।। ४५ १५१२० कल्पसूत्र सचित्र
४७ ... भद्रवाहस्वामि
१.२१६
१६मा
११। ४४।। १५१२१. पर्यन्ताराधनाप्रकरण बालावबोधसह १२ पाग म् सोमसन्दरसूरि
११४ ४।। १५१२२ पष्टिशतकप्रकरणम्
७ प्रा नमिचन्द्र भण्डारी
गा १६१
मध्यम १५१२३ कर्मग्रन्थ चार स्वोपज्ञटीकासहित ८८ प्रा. स देवेन्द्रसूरि
मध्यम ११४४।।। १५१२४ भववैराग्यशतक सस्तबक
१७मो उत्तम १०।। ४।। १५१२५ उत्तराध्ययनसूत्र ३९ प्रा
१५मो जीर्ण १०।। ४ ४॥ १५१२६ श्रीपालचरित्र
रत्नशेखरसूरि
१४२८ १४९२ उत्तम १०।। ४।। १५१२७ मङ्गलकलशकथाप्रवन्धरास
२७ ग ज्ञानरुचि गा ३३१ १५२५
११४४।। १५१२८ दशवैकालिकसूत्र
१० प्रा० शय्यम्भवसूरि
७०० १६मा
११।। ४४।। १५१२९ सिद्धहेमशब्दानुशासन तृतीयाध्याय तृतीय
पादथी चतुर्थाध्यायपर्यन्त अवचूरि
आख्यातवृत्ति अवचूरि १५१३० दशदष्टान्त-मनुष्यभवदुर्लभविषये १६-२७ ग.
अतिजीर्ण ११॥ ४४|| १५१३१ १. मुञ्जकथा
१० स. १कृष्णगच्छीय जयसिहसूरि
१०।४ ।। १०।। x ४५
२००
२. मन्त्रि-दासीकथा पद्य
१ प्रतिशतले २. प्रति शुद्ध छे पत्र ३५मुनथा ३. चित्रो सुन्दर पण पसायेला छे ४. पत्र८मनधी
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