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________________ ७ि ॥ प्रा. arc5 क्रमांक पुस्तकनु नाम पत्र भाषा कर्ता लोकसख्या रचनास लेखनस, स्थिति लम्बाई - पहोळाई| १४९२७ दशवैकालिक चूर्णि' १९२ ७.९७० १६मा उत्तम १२।। ४५ १४९२८ आचाराङ्गसूत्रवृत्ति शीलाङ्काचार्य १२,००० १५३८ जीर्ण १२।।। ४ ५ १४९२९ आचाराङ्गसूत्रवृत्ति शीलाङ्काचार्य १२.००० १५५९ जीर्ण १२।।। ४५ १४९३० आचाराङ्गसूत्रवृनि मूल प्रा. सधर्मास्वामि १२।।। ५ १४९३१ आचाराङ्गसूत्रवृत्ति निर्यक्ति १२ भद्रबाहस्वामि गा.३६७. श्तो० ४५० १६मो १२।।।४५ १४९३२ आचाराङ्गसूत्रवृत्ति चूर्णि' १३१ १५३८ अतिजीर्ण १२।।। ४ ५। १४९३३ श्राद्धदिनकृत्य स्वोपज्ञटीकासहित २४९ प्रा सं देवेन्द्रसूरि १२,९२१ १५४९ उत्तम १२।।। ५। १४९३४ आचाराङ्गसूत्र ३५ प्रा. सधर्मास्वामि २.६४४ मा मध्यम ११। । १४९३५ १ सारावलीप्रकार्णका १-४ गा.११६ उत्तम ११॥x ४||| २. आचाराङ्गसूत्रचूलिका , गा. ८७ १४९३६ सूत्रकृताङ्गसूत्रप्रथमश्रतस्कन्धवृत्ति सं शीलाङ्काचार्य ९.००० ... जार्णप्राय १२।।। ४ ५। १४९३७ सूत्रकृताङ्गसूत्रद्वितीयश्रुतस्कन्धवृत्ति शीलाङ्काचार्य ४,८५० १५३९ जीर्ण १२।।। - ५ ४९३८ सूत्रकृताङ्गसूत्रचूर्णि' १५५ प्रा. १५३८ १२।।1 - ५ १४९३९ सूत्रकृताङ्गसूनियुक्ति ५(३१-३५) भद्रबाहुस्वामि गा. २०८ १२।।। ४५ १४९४० सूत्रकृताङ्गसूत्रनियुक्ति भद्रबाहुस्वामि गा,२०८ १७मो उत्तम १२।।।४५ १४९४१ भगवनीसूत्र सधर्मास्वामि १५.६७५ १५३२ १२।।। ४५ १४९४२ भगवनीसूत्र १५.७५२ १६मा .. १२।।४४|| १४९४३ भावनासूत्रनि ३३७ सं अभयदेवसूरि १८.६१६ ११२८ १५२८ १२ x ४।। १४९४४ भगवतीसूत्र त्रटक २७१ प्रा सुधर्मास्वामि जीर्णप्राय १२४४।। १४९४५ महापालचरित्र वाग्देवगणि गा.१.८०७ उत्तम १४९४६ प्रबोधचिन्तामणि जयशेवरसूरि १७मा १४९४७ भवभावनाप्रकरण संक्षिप्तवृत्ति सह मू मलधारी हेमचन्द्रसूरि ४,७२१ १७२२ १२।।1X४11 १४९४८ सम्यकत्वकौमीचतुष्पदी कवि जोधराज गोदीका कडा१,१७८ १७२८ १७२९ जीर्ण १२।। ४।। राघवपाण्डवायमहाकाव्यद्विसन्धा मू. धनञ्जय, १६मा मध्यम १२।।। ४।।। नमहाकाव्य सटीकरण टी दिगम्बर नेमिचन्द्र १४९५० जम्बूचरित्र पद्य ७०९ १५मो उत्तम १२।। ४ ४।। १४९५१ उनराध्ययनसूत्र सटीक-सुखबोधिका२२३० .. नेमिचन्द्रसूरि (देवेन्द्रगणि) १२.५०० ११२९ १५१६ मध्यम १२।। ४४ १. पत्र १७म तथा ४६म् इवल छे २-३. प्रथम पत्रमा समवसरणन चित्र छे. ४. पत्र ४९म, डबल तथा ८७मुत्रण छे ५. पत्र १६९म. २१६म. २२६म अने २८म डबल छ ६ पत्र ८३मु अने १२२मु डबल छे ७. प्रति चोटेली छे, प्रथम पत्रमा समवसरणन चित्र छे ८. पत्र ३ थी ५ नथी. ९. पत्र १३३म् नथी. बाकी टक छे १०. प्रांत शुद्ध पत्र १७-१८ भेगा छे ११ प्रति शद्ध छे १२, पति शद्ध छे Jan Education international For Prve & Personal use only www.jainelibrary.pro
SR No.018046
Book TitleCatalogue of Manuscripts of Patana Jain Bhandara 01 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPunyavijay, Jambuvijay
PublisherShardaben Chimanbhai Educational Research Centre
Publication Year1991
Total Pages650
LanguageHindi
ClassificationCatalogue
File Size13 MB
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