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पाटण श्रीहेमचन्द्राचार्य जैन ज्ञानमन्दिरस्थित तपागच्छ जैन ज्ञानभण्डारना हस्तलिखित ग्रन्थोन् विपत्र - द्वितीया विभागः । क्रमाक पुस्तक नाम
पत्र भाषा
का लोकसया रचनास, लेखनम, स्थिति लम्बाई-प होळाई | १४९०५ श्रावक प्रतिक्रमणसूत्र सटीक अर्थदापिका वृत्ति'१२३ स रत्नशेखरसूरि ।
६.६४४१४९६ १५४९ उत्तम १२।।। x ५ १४९०६ पञ्चाङ्गीवृत्ति
१०७ अभयदेवसूरि
६.९३०
१५३८ जीर्णप्राय १३४ ५। १. उपासकदशाङ्गसूत्रवृत्ति २ अन्तकृदशाङ्गसूत्रवृत्ति
१५-१९ ३. अनुत्तरोपपातिकदशाङ्गसूत्रवृत्ति ४ प्रश्नव्याकरणसूत्रवृत्ति
५ विपाकसूत्रवृत्ति १४९०७ यनिजातकल्पसूत्र सटीक
मू सोमप्रभसूरि टी साधरत्नसूरी
१५३८ जीर्णप्राय १३ x ५। १४९०४. उनगध्ययनसूत्र
अतिजीर्ण १२।।। ४५ १०.१ निशीथसूत्र
भद्रबाहुस्वामि
उत्तम १२।।। ४॥ १४९१० जीतकल्पचूर्णि
१५३८ जीर्णपाय १२।।। ४५ १४९११ व्यवहारसूत्र
भद्रबाहस्वामि
१६मो उत्तम १२।।। ४५ १४९१२ उत्तराध्ययनसूत्रनियुक्ति
भद्रबाहुस्वामि
७०८
मध्यम १२।।। ४५ जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिउपाडसूत्र'
प्रा.
४,४५४
१५५७ जीर्णप्राय १२ ।।। ४ ५ १९१४ नवतत्त्वप्रकरणावचूरि ११ सं.
१६मा उत्तम १२।।।४५ १४९१५ चन्द्रप्रज्ञप्तिसूत्र सटीक
२१५ प्रा स टी मलयगिरि
९.५००
१५६४ मध्यम १३ x ५ १४९१६ जम्वदीपप्रज्ञपिचूर्णि
४५ प्रा .
१६मो जीर्णप्राय १२।।। ४५ १४९१७ उपदेशरत्नाकर स्वोपज्ञटीका सहर
१४५ प्रा.स मनिसन्दरसूरि
७.६७५
१५४४ उत्तम १२।।। ५ १४९१८ प्रज्ञापनारस्वति
२०७ स मलयगिरिसूरि
१६०००
१६मा
१२।।। ४५ १४९१९ दशवकात्तिकरनिर्यक्ति
१४ प्रा भद्रवाहस्वामि
गा ४४५. ग्रं ५५६
मध्यम १२।1x1 ११९२० पजकल्पभाष्य
.. सवदास क्षमाश्रमण गा.२.५७४,
यं ३,७३५
१५३८ १४९२१ पत्रकल्पवर्णि
३.१२५
जीर्ण १२111xi पचकरभाष्य
... सङ्घदास क्षमाश्रमण
३,७३५
१५४९ जीर्णप्राय १२।।। - ५ १४९.२३ गस्तवसिद्धि ९ पास
१६मा उत्तम १२।।। ५। १४९२४ सम्यमयसमतिका वनि सह
सङ्घतिलकसरि
७.७११ १४३२ १५४९ जार्ण १२।।। - ५ १४९२५ श्रावकविधिप्रकरण स्वोपत्रवृत्ति सह १३७ . रत्लशेरवरसरि
१५०६ १६मा उनम १२।।। ४५ १४९२६ दशवकालिक सुत्रवनि
१८४ स. तिलकाचार्य
७,००० १३०४
जीर्णप्राय १२।।। - ५
१. पा९४मनची २. प्रथम पामा समवसरणन चित्रले अनेमसथाम उबल
पति शद प्रथम पत्रमा समवसरणन अने बाजामा नाम भ्रमणसघन चित्र छे ४. पत्र१-३२ भगा अन ११२म डबल ५. पा८२-८३ा६. प्रतिशड७. पर ७४म डबल अने पत्र ९१-९२ भगा
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