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Jaina Literature and Philosophy
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ऋषिदत्ता-रास v. S. 1572 कायापुरपाटण सज्झाय जम्बूअन्तरङ्ग-रास C. V. S. 1572 निन्दा-सज्झाय परदेशी राजानो रास V. S.? यौवन-जरा-संवाद रत्नसारकुमार-चउपइ (रास) V. S. 1582
शुकराजसाहेली Subject - Life of Sthūlabhadra in various metres in Gujarati language
For comparison see the following works स्थूलभद्गचरित्र by Siladeva
1 Jayānanda Sūri Begins -- fol. 10
शशिकरनिकरसमुज्वलमरालमारुह्य विश्वसा देवी। क्चिरति कविजनहृदये सदये संसारभयहरिणी ॥ १॥ etc. आणी नव नव बंधं नव नव छंदेण नवनवा भावा। गुणरत्नाकरछंदं वन्निसु थूलिभहस्स ॥ १८ ॥ etc.
Ends-fol. 11a
'पाडल'पुरि सिगडाल सबल मंत्रीसर भणीए । नंदराय नरमुकुट सुभट सकीरति सुणीइ । थूलिभद्दथिरिमन्न कोश युवति जिणि तारी। चंद्रकला निकलंक सदा शासनि जय कारी । वयरीवियोग भाव विहरण रिद्धि सिद्धि सया। लीलाविलास सरसंरंग दिउ करु सहिजसुंदर मया ॥ ८१॥
इति श्रीथूलिभद्रछंदसि गुणरत्नाकरे ( चतुर्थोऽधिकारः) समाप्तः। Reference - For extracts and additional MSS. see Jaina Gurjara
Kavio (Vol. I, pp. 121-123).
Here on p. 121 the title of this work is noted as "Gunaratnakarachanda'.
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