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339. ]
The Svetambara Works
the right hand margin; a piece of paper pasted to fol. 12 ; strips of paper pasted to some of the foll.; condition on the whole tolerably good; foll. 26 and 27 missing and fol. 28 repeated; almost complete, for only a line or two required to complete this work; composed in Samvat 1673 at S Medata.
Age.- Not mentioned.
Author. Samayasundara, pupil of Sakalacandra
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For his addi
tional works see DCGCM ( Vol. XIX, sec. 2, pt. I, pp. 256 and 232 ).
Subject. A story of Nala and Davadanti (popularly known as Damayanti) in 6 khandas.
Begins. fol. 1° ॥ ६० ॥ सकलपंडित शिरोमणिपंडितश्रीपद्मविजय गणिगुरुभ्यो
नमः
दूहा सीमंधरसामी प्रमुख विहरमाण जिण वर ( वी ) स । अढी दीपमई आज छई । जयवंता जगदीस १
को दो वलि केवली सहस कोडि दोय साधु
संप्रति संयम पालतां गुणमणि समुद्र अगाध । २ ॥ etc.
Ends. fol. 28° ( repeated )
नवमी ढाल रसाल हो
छट्टा खंड तणी पूरी थई वारू वचनवेलास हो समयसुंदर भाई भावसुं । १६ । दाल गीत लट्ठीनी
सुधरमसामीपरंपरा | 'चंद' कुल 'वयरी' साषा | कोटक' गच्छे गण 'खरतर' रो भट्टारिया सुभाष । सुभाष जूगप्रधान जिणचंद प्रथम शिष्यशिरोमणि । जस गोत्र 'रीहड' नाम सकलचंद प्रसीद्ध घणी तसु शिष्य पभणइ समयसुंदर उपाध्याय इसी परइ वाचनाचारज रीषभनंदन प्रमुख शिष्यनई आदरई ॥ १ ॥ गोत्र 'गोलेच्छा' गहगहई 'मेडता' नगर मजार । दीन दिन संघ माहिं दीपता || 'खरतरगच्छ सिणगार ।
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