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206.] Svetambara Narratives
शा divided into four ullāsas as under :
Ullasa I foll. 1 to 171 , II , 17* ,, 350 , III , 33 , 64*
, IV , 64 , 93. Fol. 16 contains the same matter as given on the next
fol. also numbered as I Age.- Samvat 1914. Author.- Mohanavijaya, pupil of Rupavijaya Gani. His addi
tional works are as under :(1) चोरासी
V. S. ? (2) नर्मदासन्दरीरास V. S. 1764 (3) पुण्यपाल गुणसुन्दरी-रास V. S. 1763 (4) मानतुंग-मानवती-रास V. S. 1760 (5) रत्नपालरास
V. S. 1760 (6) हरिवाहननृपरास
V.S. 1755. Subject.- A life-sketch of King Canda (son of Virasena) in
Gujarāti in verse. Begins.- fol. 1
६०॥ श्रीपरमात्मने नमः॥
दोहा॥ प्रथम धराधिपति प्रथम ॥ तीर्थकर आदेय ॥ प्रथम जिणंद दिणंदसम ॥ नमो नमो नाभेय ॥१॥ अमित कांति अद्भूत शिषा शिरभूषित सोच्छाह ॥ प्रगटयो पद्म' द्रह थकी । 'सिंधु'सलिलप्रवाह ॥२॥ क्षुधा सही केवल लही दी, प्रथम ज मात ॥ जननीवच्छल एम जो ॥ ते जगि जात सुजात ॥३॥ जा[व]स वंश अवतंशसम ॥ प्रभुता युक्ति सुभुक्ति ।। बिलसी मुकुरनिवाससम ॥ वरी वधू जे मू(8)क्ति ॥४॥ लघु ब(ध )य इछा(छा) इक्षुनी | पारणदिन पिण तेह ॥ मिष्ट इष्ट प्रभुनै सदा ॥ मीठो मंगल एह ।। ५॥ गणधर द्वादश अंगनां । धारक सूत्र कहेब ॥ जंगम नाण तणा जलधि ॥ पुंडरीक प्रणमेव ॥ ६ ॥
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