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The Svetāmbara Narratives
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तास सीस कहें रंगे(?) । जो लगें 'मेरु' गिरिंदरे । रवि ससी गगनमंडल ए दी। प्रतपो ए जयकारी रे ॥ १२ मे. भी संषेसर'पासपसाई । दीन दिन दोलति थाई रे। ढाल उगत्रीसमी राग 'धन्यासी' । गजकुसल गुण गावे रे ॥ १३ मे० चरित्र अने वली भली चोपई । कांधो रास में जोई रे । भधिको ऊछो जे में भाष्यों । मिछा दुक्कड सोई रे ॥ १४ मे० । जे नरनारी रंगें भणसई । तस घरि जयजयकार रे । रिद्ध वृद्ध सुष संपदा पावें । पुत्र कलत्र परिवारो रे । १५ मे ॥ मनवांछित में संपदा पांमी । स्तवनां एह मुणंदा रे । गजकुशल पंडित कहें मुजने । नित नित सुष अ(आ)णंदा रे ॥ १६।। 10 में साधु तणा गुण गाय ॥ इति श्रीगुणकरंडकगुणावलिरास संपूर्णम् ॥ ढाल २९ छे । संध्याइ
सर्वगाथा ५०१६ छ ॥ संवत १७८७ वर्षे आसु बदि १३ दिने बुद्धवासरे । सकलपंडितशिरोमणिपंडितश्री५श्रीदानचंद्रगणिशिष्यपं०दीप
चंद्रगणिपंदोलतचंद्रगणिवाचनार्थ श्री Reference.- For extracts and additional Mss. see Jaina Gurjara
Kavio (Vol. II, p. 153 & Vol. III, pt. 2, p. 1202).
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गुणकरण्डक-गुणावली-रास Gunakarandaka-Gunavali-rasa [गुणावलीचतुष्पदी]
[ Gunavalicatuspadi ] (गुणावलीचोपाइ)
(Gunavalicopai) No. 183
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1871-72. Size.- 9 in. by s in. Extent.- 26 folios ; 14 lines to a page ; 30 letters to a line. Description.- Country raper somewhat thick, rough, tough and
white ; Jaina Devanāgari characters; big, quite legible, uniform and very good hand-writing ; borders ruled in three lines and edges in one in red ink ; red chalk profusely used ; foll. numbered in the right-hand margin ; fol. !' blank ; condition very good ; complete.
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