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Begins. fol. 1b ६० ॥ श्रीगणेशाय नमः अथ केसीकुमारचौपई लिखते
Ends.- fol. 23a
चूहा स्वस्ति श्री अरिहंत सिधि आचारज उषझाय रत्नत्रयसाधक मुनी प्रणम्यां पाप पलाय १ सुमित ब्रह्माणि जिणगुण है अगम अनेक विने भगति करि मांगि ह दीजै बोध विषेक २ गोविंद गुरु अधिक जे सर्वे नित पाय arita श्रीधर करे आतमरिधि प्रगटाइ ३ वचनकला तेह्रवी नही नहि तेहवो न ग्यांन अलप मने आरंभ कीय सुध करीयो बुधवांन ४ मुनिवरना गुण गायवा मो मन भयो उच्छाह श्रीगुरुदेवप्रसाद विघन अभ्यॉन विलाहि ५ श्रीपारससंतानीया केसीनाम कुमार
ताहि प्रबंध रचुं म (?) दा परदेसी अधिकार ६ etc.
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The Svetambara Narratives
निचै नै विषहार अराधे पण समवायधम साधे जी सोई समकिती जीव कहाये स्यादवादमति ध्यावे जी ७४० नृपप्रीथी ए अधिकारा रिषमंडल भी बिचारा जी कथाको सनी ले संप्रदाया इकठा करि जु मिलाया जी ८४० हंसने हंस ज्यु सूझे गुण लंबे मन बूझे जी
अधम उलू रवि देषत रीसे जिस अवगुण तिण दीसे जी ९४० रिद्ध सिद्ध सुप संपति पाऊँ भावठ अलगी भाजै जी आणंद मंगल जय जस गाजै धम धारे मन साजै जी १०४० पहिरै मुनिगुणगलमाला सुग्भ सुगत ए रसाला जी तेहने पूजे त्रिदसनी बाला मिटै कुगति दुषजाला जी ११४० खरतर 'पति जिणचद सवाया उदयतिलक उवझाया जी अमरविजं गुरुचरण पसाया केसी मुनि गुण गायाजी १२४० रस पूरण बसु हंस ( १८०६ ) सुपर विजदसम दिन हर जी 'गारबदेसर' रह्या चोमासो पायो सुष उलासो जी १३४० एह संबंध रच्यो सुविचारी वक्ता श्रुता हितकारी जी सुणसी मणसी जे नरनारी बिहुने मगलकारी जी १४४०
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