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अष्टमीस्तुति
No. 22
Extent.
Hymnology: Svetambara works
महाहे गंभीर बारु उपगा ।
सहू संपदा अष्ट आप अभंगा ॥ ३ ॥
जिणभुवणि बत्तीस नाडय रमंती ।
जिणसासणदेवदेवी य भक्षी ।
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नरनार जे अष्टमीरंगराता ।
इति अष्टमीस्तुतिः ॥
N. B. - For additional information see No. 18.
सहू संति वह (?) संति कल्याणदाता || ४ ||
Ends. --- fol. 464
Begins.-- fol. 46 ॥
fol. 463.
Description.-- Complete 4 verses in all. Namaskāramantra ( Vol. XVII, pt.
Author.- Jinasukha Suri.
IS
Subject. A hymn in Gujarati in connection with the 8th day of either fortnight.
चौवीसे जिनवर प्रणतुं हुं नितमेत (त्र ) । आठ दिन करायै चंद्रप्रभूनी सेव ।
मूरत मन मोह जांणै पुनिमचंद
atri दुष जायै पामै परमानंद ॥ १ ॥ मिल चोसद्धि इंद्र पूजे प्रभूजीना पाय ।
इंद्राणी अपछर कर जोडी गुण गाय ! 'नंदीश्वर' दीप मिल सुरखरनी कोड ।
agartistes aai sोडाहोड || २ ||
For other details see 3, No. 736 ).
'सेत्जा' सिपरै जांणी लाभ अपार ।
चौमासौ रहीया गणधर मुनिपरिवार । भवने तारे देई धरम-उपदेस ।
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Astamistuti
1106 (95). 1891-95.
दूध साकरथी पिण वांणी अधिक विशेस || ३ ॥
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