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284.]
नेमिनाथस्तुति No. 284
Extent. fol. 44" to fol. 44b.
Description.- Complete ; 4 verses in all.
Hymnology: Svetambara works
Begins.-- fol. 44*
ور
Namaskāramantra ( Vol. XVII, pt. 3, No. 736 ).
Author - Not mentioned.
Subject. Eulogy of Lord Nemi, all the Tirthankaras, the Jaina canon and Ambika, a goddess in Vernacular ( Gujarati ). Herein several eatables-fruits etc. are mentioned.
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Neminathastuti 1106 (87).
1891-95.
For other details see S
चंपक केतकि पाडल जाई सेति मालती सुहाई
परिमल पुहवि न माई
वारू श्रावक पूजै फल वली विशेष अतिष मूल इहां जीव म भूल कर णीर धुप भली परि जाणे वरश्वामि गुरु इण परि आण
वलीय विश वषां पूज करी ने करस्युं सेव
झमत (न) लागी एहि ज देव बंदु अरिहंत देव ॥ १ ॥
fol. 44a आंबा रायण सरस जूरा सदा सदा फल ने बीजोरा रूढा फल जंभीरा परबूजा कोहला वडेरा जांबू नींबू फणस भलेरा अतिमोटा नालेरा
नारंगी नवरंगा केला पाका दाडिम कीजै भेला ठोबो मेलसमेला वलि ठोष पुरसांणी सेव
सांभरिया वर सोला हिवढा पाक ने सिंघोडा
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मुळ (झ) मन लागी एहि ज टेव बंदु सगला देव ॥ २ ॥ निमजानै साकरनी जोड
पिसता द्रा वि (बि) दाम अषोड उपजे कोड
अतिउज्जला सरस दवडा
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