________________
S
IS
20
25
190
Jaina Literature and Philosophy
Begins fol. 145° ए ६ ० अथ चंद्रप्रभस्तोत्रं लिख्यते ॥
चिन्तामणिपार्श्वनाथगीत
No. 162
Extent. fol. ga to fol go.
Io Description.- Complete; 8 verses in all. For other details see 1406 (1)..
Manikyasvamistava No.
1891-95.
30
ॐ नमो भगवते श्रीचंद्रप्रभजिनेंद्राय शशांकगोक्षीरहारधवलगात्राय । घातिक निर्मूलोच्छेदनाय | etc.
Ends.— fol. 147° च्छरु २ हरु २ फुट २ घे घे हाँ काँ क्ष क्ष क्ष क्षू ज्वाला
मालिन्यां ज्ञापयति स्वाहा ॥ इति श्रीचंद्रप्रभशासनदेवताज्वालामालिनीस्तुतिः संपूर्ण ॥
Author.- Is he Kalyāna Suri ?
Subject. — Song of Lord Cintāmani - Parśva in Gujarati.
Begins. fol. ga
Jain Education International
Cintāmani-Parśvanatha-gita
1406 (13).
1891-95.
कल्याणचिंतामणि दो ध्यान धरि सुरासुरवृंदो
पाय नमि नरनाथो, निजं ।
कुल पंकज भासन हंसो
वामा कुक्षिसरोवरहंसो सेव करि अहिनाथो || १ ॥
विशदं इद मणिदेह विराजि
सेवक जननां संकट भाजि ।
बारि विधन किलेसो 'पुरसादाणी' जिनवरनामो सुंदर अतिशय महिमाधामों मोहतिमिर नवि लेसो ॥ २ ॥ Ends. fol. 96
[ 161.
जिननामं मंत्र जपई जे प्राणांते पामइ धन अमृतवाणी कमलाकेलि अंगारो ॥ ७ ॥
कलस
श्रीकल्याणचितामणि नरशिरोमणि' मतिसागरमुनिसंस्तुतो
भवसागरतारण बंछितकारण शोकसंतापरन भूमिहारा अश्वसेननंदन दुरितनिकंदन वामानंदन देवनतो
सूरि कल्याण वंदि चित्ति आणंदइ सकल मनोरथ सिद्धि करो ॥ ८ ॥ इति श्री चिंतामनीगीतं ॥
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org